भारत के हर नागरिक को भीमा कोरेगांव में भड़की हिंसा अच्छी तरह से याद है। इस दौरान पूरे महाराष्ट्र में दलित संगठनों ने बंद का ऐलान किया था। खबरों में हिंसा भड़कने की असली वजह दलित गणपति महार के समाधि स्थल बताई गई थी।

ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर गणप​त महार कौन है? जी हां, बता दें कि दलित समुदाय के गणपत महार ने ही छत्रपति शि‍वाजी महाराज के बेटे संभाजी राजे का अंतिम संस्कार किया था। हांलाकि इस तथ्य को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग तर्क हैं।

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी के पुत्र संभाजी को कैद कर लिया था। जेल में ही उनकी हत्या करवा कर उनके शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे। जब औरंगजेब के डर से मराठाओं ने संभाजी का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था, तब उनका अंतिम संस्कार करने के लिए गणपत महार नाम का एक दलित सामने आया ओर उसी ने संभाजी राजे का अंतिम संस्कार किया।

बताया जाता है कि गणपत महार ने स्वयं अपने हाथों से संभाजी की समाधि बनाई। आज भी यह समाधि महार नाम के गांव में मौजूद है। गणपत महार की मौत के बाद उसकी समाधि भी संभाजी राजे की समाधि के नजदीक बनाई गई।

जब कि कुछ इतिहासकारों का तर्क है कि संभाजी राजे के शव को कुछ मराठाओं ने ही सिला था, एवं उनका अंतिम संस्कार भीमा नदी के तट पर किया था। जहां कुछ हिंदूवादी संगठन संभाजी राजे के साथ गणपत महार का नाम जोड़ने की बात को खारिज करते हैं, वहीं दलित संगठन गणपत महार वाली घटना को ही सच मानते हैं। यही मुद्दा वर्षों से महाराष्ट्र में दलितों तथा मराठों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।

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