जब अटल जी की कविता सुन हूटिंग कर रही लड़कियां हो गई थी मंत्रमुग्ध, पढ़ें किस्सा
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक महान नेता ही नहीं बल्कि एक महान हिंदी कवि भी रहे है। उनके जीवन से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जिन्हे आज भी याद किया जाता है और आज हम उनसे जुड़ा एक किस्सा हम आपको बताने जा रहे है।
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ये किस्सा वाजपेयी के कॉलेज दिनों का है। अटल बिहारी वाजपेयी तब बीए की पढ़ाई कर रहे थे। आगरा कॉलेज में एक प्रतियोगिता रखी गई थी। इस कॉलेज में लड़कियों का डेविस नाम का एक हॉस्टल था। इस हॉस्टल की लड़कियों ने प्रतियोगिता के लिए एक खुराफाती प्लानिंग की हुई थी। लड़कियों ने तय किया था कि ग्वालियर से आए कवियों के लिए खूब हूट किया जाएगा। ऐसे में जब प्रतियोगिता शुरू होने में जब कुछ ही समय था, तो वो आकर पहली पंक्ति में बैठ गईं।
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लड़कियों ने कवि वीरेंद्र मिश्र की कविचा पर हूटिंग की। इसके बाद स्टेज पर अटल बिहारी वाजपेयी आए और अपनी वीर रस की कविता सुनानी शुरू की- 'नौ अगस्त सन ब्यालिस का स्वर्णिम रक्त प्रभात, जली आंसुओं की कारा में काली रात।' उन्होंने ये कविता सुनानी शुरू ही कि थी कि वहां बैठी लड़कियाों ने हूटिंग शुरू कर दी। लड़कियां 'प्रभात-प्रभात' कह कर हूट करने लगीं। लड़कियों की हूटिंग सुनकर वाजपेयी थोड़े हैरान हुए, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी कविता रोकी नहीं। उन्होंने कविता सुनाना जारी रखा और फिर तो जैसे हर कोई मंत्रमुग्ध होकर उनकी कविता सुनने लगा।