इंदिरा गांधी सरकार की सिफारिश पर पूरे देश में 25 जून 1975 को आपातकाल लगा था। सभी विरोधी नेताओं को चुन चुनकर जेल में भेजने का काम जारी था। उस दौरान गिरफ्तारी से बचने ​के लिए कई बड़े नेताओं ने वेष बदलकर देशहित करने का बीड़ा उठाया था।

इन नेताओं में नरेंद्र मोदी भी थे। 25-26 जून तक देश के सभी नेताओं को जेल भेजा जा चुका था, लेकिन उस दौरान केवल आरएसएस ही एक ऐसी ही संस्था थी जो अपने संगठनात्मक क्षमता के बलबूते आपातकाल के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए सक्रिय हो चुकी थी।

जब गुजरात में आरएसएस के वरिष्ठ नेता केशव राव देशमुख को हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद बतौर संघ प्रचारक नरेंद्र मोदी ने सरकारी दमन के विरूद्ध अपनी भूमिका को अंजाम देना शुरू किया। कभी वह सरदार के वेष में, तो किसी दिन दाढ़ी वाले बुजुर्ग बनकर पुलिस की गिरफ्तारी से बचते हुए अपने कार्यों को अंजाम देते रहे। उन्होंने एक स्वयं सेवी बहन के मदद से पुलिस थाने में बंद केशव देशमुख के पास मौजूद जरूरी दस्तावेजों को हासिल कर लिया था।

आपातकाल के दौरान नरेंद्र मोदी को गुजरात में लोक संघर्ष समिति का महासचिव बनाया गया था। इस दौरान नरेंद्र मोदी ने कई बार छद्यम वेष भी धारण किया तथा कई बार अपने नाम बदले। आपातकाल के दौरान नरेंद्र मोदी को दाढ़ी वाले फायरब्रांड नेता जार्ज फर्नांडिस की सुरक्षा में गार्ड की भूमिका भी निभानी पड़ी थी। इस दौरान नरेंद्र मोदी की जार्ज फर्नांडीस से अहिंसा दर्शन पर बहस भी हुई। इमरजेंसी के दौरान नरेंद्र मोदी को भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत थेंगड़ी के भी नजदीक आने का मौका मिला।

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