सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच राजनीतिक कलह की लंबी पारी अब शीर्ष पर पहुंच चुकी है। शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर एक नई पार्टी सेक्युलर मोर्चा का गठन कर लिया है। इस बारे में शिवपाल यादव का कहना है कि समाजवादी विचारधारा के अनुभवी लोगों से विचार-विमर्श करके तथा बहुत सोच-समझकर सेक्युलर मोर्चा के गठन का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सपा अब अपने मूल सिद्धांतों तथा विचारधारा से भटक चुकी है। ऐसे में इस पार्टीं के सिद्धांतों से समझौता करना अब संभव नहीं है।

शिवपाल ने कहा कि सेक्युलर मोर्चा को नेताजी का आशीर्वाद प्राप्त है। मैंने खुद के तथा नेता जी मुलायम सिंह के अपमान के बाद मजबूर होकर एक अलग पार्टी बनाई है। उन्होंने कहा कि अपनी विचारधारा वाली छोटी पार्टियों से मिलकर लोकसभा चुनाव-2019 में सेक्युलर मोर्चा कुल 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

बड़ी पार्टियों से तुलना करने के मुद्दे पर शिवपाल यादव का कहना है कि हमारी पार्टी को किसी गठबंधन या पार्टी विशेष के संदर्भ में ना देखें तो बेहतर होगा। अगर देखा जाए तो भारत में केवल दो दल होने चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी का किसी अन्य पार्टी में विलय का सवाल ही नहीं उठता है। अगर मुझे किसी दल में जाना होता तो मेरे पास प्रस्तावों की कमी नहीं है, और ना ही अवसरों की कमी है।

जब शिवपाल यादव से यह पूछा गया कि सेक्यूलर मोर्चा का फायदा सपा नहीं किसी तीसरी पार्टी को मिलेगा तब उन्होंने कहा कि सपा को एकजुट रखने के लिए जो कुछ संभव बना मैंने वह सब कुछ किया। लेकिन सपा अब अपने मूल सिद्धांतों से भटक चुकी है।

लाखों मेहनती समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपमानित और उपेक्षित किया गया। इतना ही नहीं मेरा और नेता जी का भी अपमान किया गया। सपा को मूल विचारधारा में लौटाने का हमारा प्रयास व्यर्थ गया। मुझे तीसरे पक्ष की चिंता नहीं है, मैं बस इतना जानता हूं कि यूपी की राजनीति मेें सबसे सशक्त विकल्प सेक्युलर मोर्चा को जनता के बीच ले जाने का काम हम कर रहे हैं।

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