दिन ब दिन प्रदूषण के स्तर कम होने के बजाय बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है। सर्दी की धुंध में प्रदूषण का धुआं भले ही कम दिखें लेकिन बढ़ते इस धुंए को हम नज़र अंदाज नहीं कर सकते है। हालांकि बीते दिनों के मुकाबले शहरों में प्रदूषण के स्तर में कुछ सुधार हुए है। लेकिन इसके साथ ही कई नए प्रदूषण हॉट स्पॉट भी सामने आए है। वैसे तो नया साल घातक हवा और हवा की गुणवत्ता में अधिक सुधार की उम्मीद करता है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के पिछले साल के आंकड़ों से पता चलता है कि कई शहरों में पिछले साल वायु प्रदूषण का स्तर काफी खराब रहा था।


चेन्नई में प्रदूषण के स्तर में हुआ सुधार -
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों का विश्लेषण के अनुसार 2016 में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर कानपुर ने 2018 में स्तर में महत्वपूर्ण सुधार किया है। जहां नवंबर 2016 में चेन्नई के प्रदूषण स्तर ने वायु गुणवत्ता सूचकांक की लिस्ट में खराब एयर ज़ोन की तरफ धकेल दिया था। जिसके कारण सरकार को भारी निजी वाहनों पर प्रतिबंध तक लगाने के लिए सोचना पड़ा था। लेकिन अच्छी खबर यह है कि ज्यादातर शहरों में अभी कुछ दिनों पहले ही डेटा (पीएम) के स्तर में गिरावट आयी है।
राजस्थान में भिवाड़ी का औद्योगिक केंद्र और उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद, दोनों राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का हिस्सा है। साल 2018 में प्रदूषण का
उच्चतम स्तर दर्ज किया गया है।
डब्लूएचओ के अनुसार प्रदूषण के लगातार संपर्क से हृदय और श्वास संबंधी बीमारियों के साथ ही फेफड़ों में कैंसर का कारण बन जाता है।


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