आपको बता दें कि यह बात उन दिनों की है, जब लोकसभा चुनाव 1989 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी नई दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे।उनकी विरोधी उम्मीदवार पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी के परिवार की सदस्य रही कांग्रेस प्रत्याशी वी. मोहिनी गिरी थी। नामांकन व नाम वापसी की तारीख बीत चुकी थी, अब चुनाव होने में महज 10 से 12 दिन शेष रह गए थे। नई दिल्ली का संसदीय क्षेत्र कांग्रेस उम्मीदवार वी. मोहिनी गिरी के होर्डिंग-पोस्टर से पटा पड़ा था। इसके विपरीत

भाजपा का प्रचार अभियान कमजोर दिखाई दे रहा था। उस वक्त केएन गोविंदाचार्य भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी के विशेष सहायक के रूप में काम कर रहे थे। जब केएन गोविंदाचार्य ने आडवाणी से नई दिल्ली में होर्डिंग-पोस्टर लगवाने की बात कही। तब आडवाणी ने दो टूक उत्तर दिया। हमारे पास पैसा नहीं है। कहां से पोस्टर-बैनर लगवाया जाए।

फिर गोविंदाचार्य ने कहा कि अभी मैंने कल ही तो आपको एक पेटी रकम दी थी। ऐसे में पैसे की कमी की बात कहां से आ गई? तब लाल आडवाणी ने मासूम सा जवाब दिया। बोले- गोविंद, वो पैसा अखिल भारतीय चुनाव प्रचार के लिए है। पूरे देश में उसका वितरण होना है। मैं उसे अपने क्षेत्र के चुनाव प्रचार में कैसे लगा सकता हूं?

इसके अगले ​ही दिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे अरुण जेटली से केएन गोविंदाचार्य ने मुलाकात उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराया। इसके बाद अरूण जेटली ने रात भर में कुछ पैसे का इंतजाम कर अगले दिन पोस्टर बैनर छपवाया। इसके बाद भाजपा का चुनाव प्रचार जोर पकड़ा और लाल कृष्ण आडवाणी वो चुनाव जीतने में कामयाब हो गए।

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