इंदिरा ने की एक मुस्लिम से शादी तब नेहरू को क्यों सताने लगा था PM की कुर्सी का डर?
आज हम आपको भारतीय राजनीति को वो इतिहास बताने जा रहे है जिसके बारे में जानकर आपको काफी हैरानी होगी। ये इतिहास गांधी परिवार का है जब देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक मुस्लिम से शादी की तो उनके पिता जवाहरलाल नेहरू सदमे में आ गए थे।
ये उस समय की बात है जब इंदिरा गांधी की माँ का निधन हो गया था और वो अकेले हो गई थी। तब फ़िरोज खान नाम के व्यापारी ने इंदिरा का साथ दिया। दोनों में बातचीत होने लगी और एक दिन दोनों ने लंदन की मस्जिद में जाकर निकाह कर लिया था। यहां तक कि इंदिरा ने अपना नाम मेमुना बेगम रखा था। हैदराबाद से प्रकाशित होने वाले प्रतिष्ठित उर्दू अखबार 'दैनिक मुंसिफ ने इसका का दावा किया है। लेख में नेहरू डायनेस्टी के लेखक के एन.राव के हवाले से दावा किया गया कि इंदिरा और फिरोज ने लंदन में एक मस्जिद में जाकर निकाह कर लिया था और इंदिरा को मुसलमान धर्म स्वीकार करना पड़ा।
लेकिन तब यह बात जवाहरलाल नेहरू को पता चली तो उन्हें अपने प्रधानमंत्री पद का डर सताने लगता। वह एक मुस्लिम युवक को उसका धर्म परिवर्तन कराने के लिए राजी हो गए। जैसे तैसे कर दोनों को भारत बुलाया गया और वैदिक पद्धति से उनकी शादी करवा दी। फ़िरोज़ खान मुस्लिम से फ़िरोज़ गांधी बन गए।
साल 1944 में राजीव के जन्म के बाद दोनों पति-पत्नी अलग हो गए थे। मोहम्मद यूनुस ने अपनी पुस्तक में लिखा था कि संजय गांधी का मुसलमान ढंग से खतना किया गया था। फिरोज गांधी के पिता जहांगीर खान मुसलमान थे। जबकी उनकी मां रत्तीमाई जो कि पहले पारसी थी, बाद में मुसलमान बन गई थी।