महज 22 साल की उम्र में भारत के सबसे चर्चित राजनीतिक परिवार की बहू बनने वाली सोनिया गांधी शादी के बाद आम तौर पर मीडिया से दूर ही रहती थी लेकिन 2010 में सोनिया की निजी जिंदगी एक किताब की वजह से पूरी दुनिया में मीडिया की सुर्खियों में थी। स्पैनिश लेखक जेवियर मोरो का “द रेड साड़ी” सोनिया गांधी के जीवन पर आधारित काल्पनिक उपन्यास भारत में अंग्रेजी में रिलीज होने वाला था। हालांकि स्पैनिश में ये उपन्यास करीब सात साल पहले प्रकाशित हो चुका था लेकिन उसकी चर्चा भारत तक नहीं पहुंची।

लेकिन जब यही उपन्यास भारत में प्रकाशित होने लगा तो सोनिया गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने किताब के प्रकाशक को कानूनी नोटिस भेजकर इसका प्रकाशन रोकने की कोशिश की।

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की मुखिया बन जाने के बाद भी सोनिया ने हमेशा अपनी निजता बनाए रखी। ऐसे में “द रेड साड़ी” में ऐसा क्या था जिसे पढ़कर सोनिया और कांग्रेसी ने भारत में इस किताब को बैन कराने की कोशिश की? आइए हम आपको बताते हैं कि किताब के किन हिस्सों पर सोनिया को कथित तौर पर आपत्ति थी।

उपन्यास में सोनिया के भारत में आने के बाद के माहौल का जिक्र करते हुए लिखा गया है,विभिन्न मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सोनिया को उपन्यास के उस ब्योरे पर भी ऐतराज था जिसमें कहा गया था कि राजीव गांधी की मौत के बाद वो भारत छोड़कर इटली चली जाना चाहती थीं। बस इस तरह के कुछ घटनाओं का जिक्र है जो सोनिया गांधी नोबेल के प्रकाशन से ऐतराज रहा।

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