भारत ने चाँद के सबसे करीब पहुंचने की एक कोशिश की जिसमे हजारों वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत, लगन और जज्बा था। लेकिन चाँद पर लैंडिंग करने से ठीक 2.1 किलोमीटर पहले ही विक्रम लैंडर का कम्युनिकेशन लॉस्ट हो गया। तो क्या विक्रम लैंडर क्रैश हो गया है या लैंड हो चूका है? इस बारे में ISRO ने जानकारी दी।


जब ये सवाल इसरो के साइंटिस्ट देवीप्रसाद कार्निक से पूछा गया तो उन्होंने कहा- 'जो डेटा हमने कलेक्ट किया है उस बारे में अभी विश्लेषण किया जा रहा है इसलिए अभी साफ़ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता कि लैंडर लैंड हुआ है या क्रैश।'

करीब 47 दिनों की यात्रा के बाद विक्रम लैंडर का संपर्क इसरो से टूटा है। इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा कि विक्रम लैंडर बिल्कुल सही रास्ते से आगे बढ़ रहा था, लेकिन लैंडिंग से 2.1 किमी पहले वो उस रस्ते से थोड़ा अलग हुआ और इसके बाद सम्पर्क टूट गया।

चाँद पर अब तक केवल तीन देश, रूस, अमेरिका और चीन ही पहुंच पाए हैं। इसरो के कंट्रोल रूम में खुद पीएम मोदी भी मौजूद थे और इस पल पर अपनी नजरे गड़ाए हुए थे। लेकिन जहाँ पर भारत पहुंचने वाला था वहां पर आज तक कोई देश पहुंच नहीं पाया है। भारत चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला था।

मोदी ने विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने पर कहा- 'जब मिशन बड़ा होता है तो निराशा से पार पाने का हिम्मत होनी चाहिए।' मोदी ने साइंटिस्ट को बधाई भी दी और निराश ना होने के लिए भी कहा।

इस लम्हे पर करोड़ों भारतियों सहित पूरी दुनिया की नजर थी और यदि चाँद पर लैंडर पहुंच जाता तो ये पूरे भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल होता।

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