जम्मू-कश्मीर कहने को तो भारत का ही हिस्सा है, मगर ये राज्य भारत के बाकी राज्यों से बिल्कुल अलग है, संविधान के अनुच्छेद 35ए के तहत इसे विशेष राज्य का र्दजा दिया गया है जिसे लेकर लंबे समय से विवाद चलता रहता है और इसी अनुच्छेद को रद्द करने संबंधी चर्चा चल रहा है। उधर इस अनुच्छेद को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका के विरोध में अलगाववादियों ने कश्मीर में बंद का आयोजन किया है। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है अनुच्छेद 35ए और क्यों इस पर इतना बवाल मचा हुआ है?

4 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-ए जोड़ा गया था। इस कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के बाहर का कोई व्यक्ति यहां संपत्ति नहीं खरीद सकताय साथ ही, कोई बाहरी शख्स राज्य सरकार की योजनाओं का फायदा भी नहीं उठा सकता है और न ही वहां सरकारी नौकरी कर सकता है।

अनुच्छेद 35ए का विरोध करने वालों का कहना है कि इस कानून की वजह से दूसरे राज्य के नागरिक जो जम्मू-कश्मीर में बसे हैं वह राज्य के स्थायी नागरिक नहीं माने जाते, इस वजह से दूसरे राज्यों के नागरिक न तो जम्मू-कश्मीर में नौकरी कर सकते हैं और न ही कोई संपत्ति खरीद सकते हैं। साथ ही यदि जम्मू-कश्मीर की किसी लड़की ने दूसरे राज्य के नागरिक से शादी कर ली तो उसे भी संपत्ति के अधिकार से आर्टिकल 35ए के आधार पर वंचित कर दिया जाता है. यह धारा संविधान में में अलग से जोड़ी गई है, इसलिए इसका विरोध हो रहा है।

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