आधुनिक भारतीय इतिहास के मुताबिक, जब नेता जी सुभाष चंद्र बोस 18 अगस्त 1945 को हवाई जहाज से मंचूरिया जा रहे थे, तब ताइहोकू हवाई अड्डे पर उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस भीषण दुर्घटना में नेता जी की मौत हो गई। जनाब, यह किताब की बातें हैं, सुभाष चंद्र बोस की मौत भारतीय इतिहास में आज भी रहस्यमयी बनी हुई है।

आपको जानकारी के लिए बता 13 मई 1962 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस को पत्र संख्या 604, पीएम 62 में लिखा था कि हमारे पास नेता जी के मृत्यु का कोई प्रमाण नहीं है।

बावजूद इसके देश की जनता आज भी यह मानने को तैयार नहीं है कि सुभाष चंद्र बोस की मौत विमान दुर्घटना में हुई थी। वैसे तो नेताजी की मौत और उनके जीवित होने से जुड़ी अनेकों घटनाएं भारत में चर्चित रह चुकी हैं। लेकिन सुभाष चंद्र बोस की रहस्यमयी मौत उन दिनों हमारे देश में सबसे ज्यादा सुर्खियों में बनी हुई थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयालक्ष्‍मी पंडित ने मीडिया में एक सनसनीखेज बयान दिया था।

यह बात उन दिनों की है जब विजयलक्ष्मी पंडित रूस में भारतीय राजदूत के रूप में नियुक्त थीं। उन्होंने मीडिया में यह बयान दिया था कि मेरे पास एक ऐसी खबर है, जिससे भारत में तहलका मच सकता है। मेरी यह खबर आजादी से भी बड़ी है। उस वक्त पंडित नेहरू ने विजयालक्ष्‍मी पंडित को कुछ भी बताने से मना कर दिया था।

जानकारी के लिए बता दें कि विजय लक्ष्मी पंडित 1947 से 1949 तक रूस में राजदूत रही थीं। कहा जाता है कि विजयालक्ष्‍मी ने सुभाष चंद्र बोस को रूस में देखा था और इस बात की जानकारी उन्होंने भारत सरकार को भी दी थी, लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। नेता जी के परिजन भी यह आरोप लगा चुके हैं कि नेहरू जी तब उनके परिवार पर नजर रखने के लिए लगातार उनकी जासूसी कराते थे।

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