विजय माल्या विवाद को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। जहां एक तरफ कांग्रेस ने वित्त मंत्री को अपने निशाने पर ले रखा है, वहीं बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का जेटली और पीएम मोदी के खिलाफ ट्विटर वार जारी है। अरुण जेटली के धुर विरोधी सुब्रमण्यम स्वामी से इस्तीफा मांगा है। इसके लिए उन्होंने नेहरू सरकार का जिक्र करते हुए पीएम मोदी को भी अपने निशाने पर लिया है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट के माध्यम से जिक्र किया है कि पंडित नेहरू ने 1962 की नाकामी के बाद जनता द्वारा रक्षा मंत्री वी के कृष्ण मेनन के इस्तीफे की मांग को ठुकरा दिया था। नेहरू ने कहा था कि अगर मेनन जाएगा तो मुझे भी जाना होगा। इस पर जनता ने एक सुर में कहा था कि चले जाईए। तब नेहरू ने डरकर मेनन को बर्खास्त कर दिया था।

एक अन्य ट्वीट में सुब्रमण्यम स्वामी पीएम मोदी को चेताया है कि वित्त मंत्री के चलते उनकी लोकप्रियता खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि इतिहास से सबक लेना चाहिए कि उन्होंने किस तरह से मेनन के प्यार में पड़कर अपनी लोकप्रियता खो दी थी। सुब्रमण्यम स्वामी ने यह मांग की है कि विजय माल्या और अरुण जेटली के बीच मुलाकात की जांच की जाए।

उन्होंने तथ्यों का जिक्र किया है- पहला कि 24 अक्टूबर 2015 को माल्या के खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस को 'ब्लॉक' से 'रिपोर्ट' में बदला गया, जिसके चलते माल्या कुल 54 लगेज आइटम लेकर भागने में सफल रहा। दूसरा तथ्य यह है कि विजय माल्या ने संसद में जेटली को यह बताया था कि वह लंदन के लिए रवाना हो रहा है।

गौरतलब है कि अभी हाल में ही विजय माल्या ने लन्दन में मीडियाकर्मियों से कहा कि उसने 2016 में देश छोड़ने से पहले वित्त मंत्री से मुलाकात की थी। हांलाकि माल्या के इस बयान के तुरंत बाद अरुण जेटली ने माल्या के इस बयान को तथ्यात्मक रूप से गलत बयान बताते हुए खारिज कर दिया था।

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