बेहद मुश्किल होती है NCG कमांडो की ट्रेनिंग, जानकर छूट जाएंगे पसीने
काली वर्दी वाले NCG कमांडो कितने फुर्तीले होते हैं इस बात का अंदाजा आपको भी होगा। उन्हें 'ब्लैक कैट' भी कहा जाता है। यह ऐसा मौका है जो हर किसी को नहीं मिलता। इसके लिए कड़ी मेहनत करने की भी जरूरत होती है। आप सीधे NCG कमांडो नहीं बन सकते हैं इसके लिए पुलिस, आर्मी या पैरा मिलिट्री में होना जरूरी है। आर्मी से 3 और पैरा मिलिट्री से 5 साल के लिए जवान कमांडो ट्रेनिंग के लिए आते हैं।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इनकी ट्रेनिंग कैसे होती है। आइये जानते हैं।
फिजिकल ट्रेनिंग: फिजिकल ट्रेनिंग के लिए उम्र 35 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। कैंडिडेट का पहले फिजिकल और फिर मेंटल टेस्ट होता है। ये सब से कठिन ट्रेनिंग होती है जो कि 12 हफ्तों की होती है। जवानों में शुरुआत में 30-40 प्रतिशत फिटनेस योग्यता होती है, जो ट्रेनिंग खत्म होने तक 80-90 प्रतिशत तक हो जाती है।
जिग जैग रन: किसी भी मुश्किल को देखते ही फौरन रिएक्शन लिया जा सके, इसके लिए कैंडिडेट्स को जिग जैग रन की प्रेक्टिस करवाई जाती है। ध्यान रहे कि यह इतना आसान नहीं होता है।
लॉग एक्सरसाइज: जिस्म के ऊपरी हिस्से को मजबूत बनाने के लिए ये एक्सरसाइज करवाते हैं, जिसमें हाथ सबसे खास होते हैं।
60 मीटर की स्प्रिंग दौड़: यह 60 मीटर की दौड़ कैंडिडेट को 11 से 13 सेकंड्स में पूरी करनी होती है।
100 मीटर की स्प्रिंग दौड़: कैंडिडेट को इसके लिए 15 सेकेंड का वक्त दिया जाता है। इसे और भी कठिन बनाने के लिए उनके हाथ पैरों पर वदन भी लाद दिया जाता है।
इनक्लाइंड पुश अप्स: इसके बाद बारी आती है इनक्लाइंड पुश अप्स करने की, यह भी कठिन होते हैं।
मंकी क्रॉल: एक बंदर की तरह रस्सी के सहारे एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना भी कमांडोज की ट्रेनिंग का जरूरी हिस्सा है।
गढ्ढा फांदना: कमांडो बनने के लिए 9 फुट के गढ्ढे को भी फांदना होता है और इससे उनका कॉन्फिडेंस बढ़ता है।
दो तरह की दौड़: एक तो 25 मिनट में 5 किलोमीटर और दूसरी 9 मिनट में 2.5 किलोमीटर की दौड़ लगवाई जाती है।
हाई बैलेंस: उन्हें हर तरह से तैयार करने के लिए और हर परिस्थिति का सामना करने के लिए हाई बैलेंस भी करवाया जाता है।
पैरलल रोप: पैरलल रोप के जरिए कमांडोज के शरीर को और अधिक मजबूत बनाया जाता है।
स्पाइडर वेबनेट: स्पाइडर वेबनेट के जरिए ऊपर चढ़ना और फिर दूसरी ओर से नीचे उतरना होता है इस से हाथों की मजबूती का टेस्ट होता है।
60 फीट ऊंची ये दीवार पर चढ़ने की ये प्रेक्टिस पहाड़ पर चढ़ने का एहसास कराती है।
आसमान से सीधे किसी कमरे में घुसना हो, तो उसके लिए कुछ इस तरह की ट्रेनिंग दी जाती है।
कमांडो को कई तरह की मार्शल आर्ट की कलाएं भी सिखाई जाती हैं। किसी विमान के हाइजैक हो जाने की स्थिति से कैसे निपटना है इसके लिए भी एक खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है।