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21 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आजाद हिंद सरकार’ का 75वां स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा पहराया। इस खास मौके पर एम नरेंद्र मोदी ने जवानों के लिए सुभाष चंद्र बोस के नाम पर अवॉर्ड की भी घोषणा की। 4 जुलाई 1943 को सिंगापुर के कैथे भवन में एक समारोह में रासबिहारी बोस ने आज़ाद हिंद फ़ौज की कामन सुभाष चंद्र बोस के हाथों में सौंप दी थी। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद हिंद के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई जिसे जर्मनी, जापान, फिलिपींस, कोरिया, चीन, इटली, आयरलैंड समेत 9 देशों ने मान्यता भी दी।

सुभाष चंद्र बोस ने फ़ौज में रहते हुए देश के लिए काफी कुछ किया और एक दिन अचानक उनकी हवाई दुर्घटना मृत्यु हो गई। नेताजी की हवाई दुर्घटना में निधन की खबर सुन सभी हैरान रह गए। किसी को विश्वास नहीं था कि उनकी मृत्यु हो गई। यहां तक कि ब्रिटिश राज के टॉप अधिकारी भी ये मानने को तैयार नहीं थे। भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड आर्चीबाल्ड वाबेल ने डायरी में लिखा, मुझे हैरानी होगी अगर सुभाष चंद्र बोस की हवाई दुर्घटना में मौत को लेकर जापान सरकार की खबर सही हो।

वाबेल ने आगे अपनी डायरी में लिखा, "मुझे अब भी उनकी मौत पर विश्वास नहीं है। मुझे इस पर संदेह है। मुझे लगता है कि इस घोषणा के जरिये उनके अंडरग्राउंड होने का रास्ता तैयार किया गया है।" उन्होंने ब्रिटेन में गृह मंत्री सर आरएफ मडी से बोस को लेकर गंभीर जांच कराने को कहा था।

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