दोस्तों, आपको बता दें कि अमेरिकी संसद की एक समिति ने बुधवार को एक चेतावनी दी है कि अगर युद्ध हुआ तो वह चीन और रूस से हार सकता है। बता दें कि विश्व की सबसे अधिक रक्षा बजट (पचास लाख करोड़ रुपए) वाला देश अमेरिका इन दिनों सैन्य संकट से जूझ रहा है।

बता दें कि वर्तमान में अमेरिकी सेना के बजट में कटौती की जा रही है। यहां तक कि सैन्य सुविधाओं में भी कमी की गई है। इसके ठीक विपरीत चीन और रूस जैसे तमाम देश अमेरिका की ताकत कम करने में जुटे हुए हैं।

चूंकि 21वीं सदी में अमेरिका का फोकस आतंकरोधी अभियानों पर ज्यादा है। इस वजह से साइबर-स्पेस ऑपरेशन, मिसाइल डिफेंस, जमीन और पनडुब्बी से होने वाले हमले रोकने की क्षमता कम हुई है। मतलब साफ है अभी अमेरिका की सैन्य ताकत में गिरावट जारी है।

चीन और रूस के खिलाफ सैन्य अभियानों के लिए योजना बनाने और उनके संचालन के मुकाबले अमेरिका कमजोर पड़ रहा है। अमेरिका में 2011 से ही सैन्य बजट में कटौती होने लगी है।

नेशनल डिफेंस स्ट्रैटजी के अनुसार, पेंटागन अपनी क्षमता के हिसाब शानदार काम कर रहा है। लेकिन रिपोर्ट में यह भी सवाल उठाया गया है कि आखिर अमेरिका दुश्मनों की तरफ से मिल रही इन चुनौतियों से वह एक साथ कैसे निपटेगा ?

संसदीय पैनल की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि एशिया और यूरोप में अमेरिकी प्रभावों में कमी आई है। सैन्य संतुलन भी बदला है, इस वजह से जंग का जोखिम पहले से ज्यादा बढ़ गया है। इस प्रकार आगामी युद्धों में अमेरिकी सेना को काफी क्षति पहुंच सकती है।

कमीशन की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि युद्ध होने पर अमेरिका रूस-चीन से हार भी सकता है और जीत भी सकता है। अमेरिका को दो या तीन मोर्चों पर एक साथ भी लड़ना पड़ सकता है।

गौरतलब है कि अमेरिका ने अपनी सेना के लिए करीब 50 लाख करोड़ रुपए के रक्षा बजट का ऐलान किया है, जो कि रूस और चीन के कुल बजट से ज्यादा है। लेकिन इस देश को अपना लक्ष्य हासिल करने के हिसाब से यह बजट अभी बहुत कम है।

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