यह बात सभी जानते हैं कि हथियार खरीदने वाले देशों की सूची में भारत पहले पायदान पर स्थित है। इसकी बड़ी वजह यह है कि भारत को पड़ोसी देशों से चुनौतियां मिलती रही हैं। ऐसे में भारत को अपनी रक्षा के लिए हर किस्‍म के हथियारों और हथियार प्रणालियों की आवश्‍यकता पड़ती है। हांलाकि भारत ने स्वदेशी तरीके से भी हथियारों की आपूर्ति शुरू कर दी है, लेकिन इन हथियारों की तकनीक के विकास की गति बहुत धीमी है। अत: भारत के पास दूसरे देशों से हथियार खरीदने के अलावा कोई और विकल्‍प नहीं बचता है।

बता दें कि भारत अपनी सेना के लिए अत्याधुनिक बंदूकें, युद्धपोत तथा लड़ाकू विमान सहित अन्य रक्षा उपकरणों का आयात करता है। इस स्टोरी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारत ने साल 2018 में रूस, इजराइल के साथ कुछ बड़े रक्षा सौदे किए हैं।

एस-400 मिसाइल
साल 2018 में अक्‍टूबर के पहले हफ्ते में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दो दिवसीय भारत यात्रा की थी। इस दौरान भारत और रूस के बीच एस-400 वायु रक्षा प्रणाली सौदे पर हस्तारक्षर किए गए। बता दें कि एस-400 खरीदने वाला भारत विश्व का तीसरा देश है। चीन ने भी रूस से इस ​हथियार को खरीदा है। यह लंबी दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है, इसकी मारक क्षमता अचूक है। एस-400 एक साथ कई लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक व क्रूज मिसाइल और ड्रोन पर हमला करने में सक्षम है। इस एंटी मिसाइल सिस्टम की मारक क्षमता 400 किमी है।

दो मिसाइल युद्धपोतों के लिए रूस से करार
साल 2018 के नवंबर महीने में भारत और रूस ने इंडियन नेवी के लिए दो मिसाइल युद्धपोतों के निर्माण को लेकर 50 लाख डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए। इस सौदे के तहत भारत में मिसाइल युद्धपोतों के निर्माण के लिए रूस डिजाइन, प्रौद्योगिकी और कुछ सामग्री प्रदान करेगा। बता दें कि ये मिसाइल युद्धपोत अत्याधुनिक मिसाइलों और अन्य शस्त्र प्रणालियों से युक्त होंगे।

इजराइल से बराक मिसाइल सौदा
भारत ने साल 2018 के अक्‍टूबर के महीने में एस-400 की डील करने के बाद इजराइल के साथ भी बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम खरीदने के लिए करार किया। भारत और इजराइल के बीच यह डील करीब 5700 करोड़ रुपए में हुई है।

बता दें कि बराक-8 मिसाइल लंबी दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला एयर मिसाइल मिसाइल सिस्टम है। इस मिसाइल को डीआरडीओ और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने मिलकर तैयार किया है। बराक-8 का इस्तेमाल भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना में किया जाएगा। दुश्मन के लड़ाकू हवाई हथियारों एवं उपकरणों को हवा में ही मार गिराने में यह मिसाइल सक्षम है।

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