दोस्तों, आपको बता दें भारतीय सेना को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना के रूप में जाना जाता है। लेकिन हकीकत यह है कि सेना के तीनों अंगों को आज भी आधुनिक हथियारों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। हांलाकि हथियारों की कमी को दूर करने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है, लेकिन स्थिति में कोई बहुत बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है।

इस स्टोरी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज की तारीख में थल सेना, नौसेना और वायुसेना को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

थल सेना
भारतीय सेना में पुराने पड़ चुके हथियारों को लेकर पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरदचंद ने रक्षा मामलों पर संसद की स्थाई समिति के सामने जो कुछ कहा, वह देश को चिंतित करने के लिए काफी है। उन्होंने कहा कि सेना के मौजूदा 68 फीसदी हथियार पुराने पड़ चुके हैं। रक्षा बजट इस समय देश की जीडीपी का 1.6 फीसद है जो 1962 के चीन युद्ध के बाद सबसे कम है। सेना के पास लड़ाकू हेलीकॉप्टर की आज भी भारी कमी है। फिलहाल भारत ने रूस से एस-400 के रूप में ताकतवर एंटी मिसाइल सिस्टम खरीदने में सफलता प्राप्त की है। सैन्य बलों की संख्या अधिक होने की वजह से बजट का बहुत बडा हिस्सा वेतन और पेंशन में चला जाता है।

वायुसेना
आज की तारीख में किसी भी जंग को जीतने के लिए वायुसेना की भूमिका सबसे अहम हो चुकी है।अफगानिस्तान और इराक की जंग इसके नवीनतम उदाहरण है। हांलाकि पड़ोसी देशों के मुकाबले भारतीय वायुसेना की भूमिका कहीं से कमतर नहीं है। हाल में ही 36 राफेल विमानों की खरीददारी इसका ताजा उदाहरण हैै। बावजूद इसके भारतीय वायुसेना के पास 44 स्क्वाड्रन होने चाहिए मगर इस समय उसके पास करीब 32 बेड़े हैं, जो कुछ ही सालों में घटकर 28 रह सकते हैं।

वायुसेना में मिग-21, मिग-27 और मिग-29 जैसे लड़ाकू विमान काफी पुराने पड़ चुके हैं, लेकिन वायुसेना इनका अपग्रेडेशन कर अपना काम चला रही है। हांलाकि केंद्र सरकार भारतीय वायुसेना के लिए 110 लड़ाकू जेट विमान खरीदने की वैश्चिक निविदा जारी कर चुकी है। बावजूद इसके वायुसेना में शामिल होने में इन्हें 5 से 10 साल तक लग जाएंगे।

नौसेना
युद्ध के दौरान थल सेना और वायुसेना के साथ नौसेना की जुगलबंदी बाजी पलटने में कारगर साबित होती है। भारतीय नौसेना की ताकत पूरी दुनिया में मशहूर है। बावजूद इसके भारतीय नौ सेना आज भी युद्धपोतों, पनडुब्बी और विमानवाहक पोतों की कमी से जूझ रही है। हांलाकि आईएनएस अरिहंत के रूप में पहली परमाणु पनडुब्बी मिलने से नौसेना की ताकत पहले से काफी बढ़ चुकी है। बता दें कि इस समय नौसेना के पास गिनती की पनडुब्बी रह गयी हैं जो 30 साल से भी ज्यादा पुरानी हो चुकी हैं।

गौरतलब है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में 27 दिसंबर, 2017 को पहले यह बयान दे चुकी हैं कि भारतीय सैन्य बलों के पास स्वीकृत संख्या से करीब 60 हजार सैनिक अभी कम हैं। इनमें 27 हजार रिक्त पदों के साथ थलसेना सबसे आगे है।

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