बता दें कि सरदार वल्लभ भाई पटेल और पंडित जवाहर लाल नेहरू के बीच की अदावत का ही नतीजा था कि देश के पहले राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के भीतर दो उम्मीदवार राजेंद्र प्रसाद और राजगोपालाचारी सामने आए। इसी क्रम में हम आपको बताने जा रहे हैं कि महात्मा गांधी ने सरदार पटेल से कौन सा वादा किया था।

यह बात सभी जानते हैं कि 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी दिल्ली के बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना सभा में देर से पहुंचे, वहां मौजूद हत्यारा पहले से ही उनका इंतजार कर रहा था। नाम था नाथूराम गोडसे। यह कहानी तो सभी को पता है। बता दे कि महात्मा गांधी इस प्रार्थना सभा में 15 मिनट देर से पहुंचे थे।

दरअसल वह सरदार पटेल के साथ एक गंभीर मसले पर उलझे हुए थे। चूंकि सरदार पटेल पंडित नेहरू से खुश नहीं थे। वह महात्मा गांधी से यह बात कहने आए थे कि यदि पंडित नेहरू ने अपनी कार्यशैली नहीं बदली तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।

गांधी जी इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि सरदार पटेल के बिना पंडित नेहरू इस नए देश को नहीं संभाल पाएंगे। ऐसे में महात्मा गांधी ने पटेल से कुछ समय तक के लिए अपना इस्तीफा रोके रखने को कहा था। सरदार पटेल को क्या पता कि महात्मा गांधी से यह उनकी अंतिम मुलाकात साबित होगी। खैर जो भी हो, सरदार पटेल ने महात्मा गांधी को दिए वादे को कुछ समय के लिए ही नहीं बल्कि पूरी जिंदगी निभाते रहे।

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