भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शादी उस समय हुई जब वे 17 साल के थे और उनकी पत्नी यशोदाबेन 15 साल की थी। आपको बता दे उनका वैवाहिक जीवन केवल 3 साल तक रहा, फिर दोनों अलग हो गए। यशोदाबेन सरकारी स्कूल में पढ़ाकर अपनी ज़िन्दगी बसर करने लगी और मोदी ने अपना जीवन देश सेवा में समर्पित कर दिया।

आज हम आपको ऐसे कथन के बारे में बतायेंगे कहते है महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार कहा जाता है। इनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था और इनके जन्म पर जब एक तपस्वी ने यह भविष्यवाणी कि यह बालक छोटी आयु में ही संन्यासी हो जाएगा और लोक कल्याण में अपना जीवन व्यतित करेगा तो उनके चिंतित पिता शुद्धोधन ने 16 वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का विवाह राजकुमारी यशोधरा से कर दिया।

एक दिन जब वह भ्रमण पर निकले तो उन्होंने एक वृद्ध को देखा जिसकी कमर झुकी हुई थी और वह लगातार खांसता हुआ लाठी के सहारे चला जा रहा था। थोड़ी आगे एक मरीज को कष्ट से कराहते देख उनका मन बेचैन हो उठा। उसके बाद उन्होंने एक मृतक की अर्थी देखी, जिसके पीछे उसके परिजन विलाप करते जा रहे थे। ये सभी दृश्य देख उनका मन दर्द से भर उठा, तभी उन्होंने एक संन्यासी को देखा जो संसार के सभी बंधनों से मुक्त भ्रमण कर रहा था। इन सभी दृश्यों ने सिद्धार्थ को झकझोर कर रख दिया और उन्होंने संन्यासी बनने का निश्चय कर लिया। तब 19 वर्ष की आयु में एक रात सिद्धार्थ अपनी पत्नी और बेटे को सोता छोड़ कर गृह त्याग कर निकल पड़े। उनकी पत्नी यशोधरा ने भी एकाकी जीवन बिताया।


जैन धर्म के 24 तीर्थंकर हुए हैं, जिनमें से महावीर स्वामी 24 वें तीर्थंकर हैं। इन्हें जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक कहा जाता है। उन्होंने चार महाव्रतों में पांचवा महाव्रत ब्रह्मचर्य जोड़ कर पंच महाव्रत रूपी धर्म चलाया था। महावीर स्वामी को अहिंसा का पुजारी भी कहा जाता है क्योकिं उनका जीवन त्याग और तपस्या से भरपूर था। महावीर जैन का वास्तविक नाम वर्द्धमान था और उनकी पत्नी का नाम यशोदा था। 30 वर्ष की आयु में इन्होंने अपनी पत्नी व घर का त्याग कर दिया और सन्यासी हो गए। उनकी पत्नी ने भी एकाकी जीवन बिताया।

यशोदा, यशोधरा एवं यशोदाबेन तीनों के पतियों ने अपनी गृहस्थी का त्याग कर सेवा में अपना जीवन व्यतित किया। अब आप ही बताएं मोदी का अपनी पत्नी को छोड़ना संयोग है या फिर इतिहास?

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