पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में कमी देखने को मिली हैं, जिसके बाद ये आशंका जताई जाने लगी कि लॉकडाउन के द्वारा हम संक्रमण को काफी हद तक रोक सकते हैं, इस वजह से लॉकडाउन को कड़ाई से लागू करते हुए 3 मई तक बढ़ा दिया गया। लेकिन इस फैसला को लेकर विषेशज्ञों की राय एक दम अलग हैं।

पब्लिक हेल्‍थ फाउंडेशन और इंडिया (PHFI) प्रेसिडेंट के. श्रीनाथ रेड्डी के मुताबिक, “कोरोना वायरस से प्रभावित हर देश में कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन हुआ है। इसके प्रभाव को कम से कम किया जा सकता हैं और करनी भी चाहिए.,अभी हालात कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन वाले हैं या नहीं, इसकी पुष्टि विभिन्न स्त्रोतों से मिली जानकारी के विश्लेषण के बाद ही तय हो सकता है,स्वास्थ्य विभाग इसपर काम कर रहा हैं।

भारत में 30 जनवरी से लेकर 1 अप्रैल तक कोरोना के मात्र 3 पॉजिटिव मामले सामने आये थे, उसके बाद से इसमें लगातार वृद्धि हुई हैं. 31 मार्च तक भारत में कोविड-19 के कुल मरीज़ों की संख्या 1,635 तक पहुँच गई. लेकिन इसके बाद मात्र 14 दिन, यानी 1 अप्रैल से 14 अप्रैल तक 9 हजार मामले सामने आये हैं।

आप इससे बखूबी अंदाजा लगा सकते हैं कि पिछले 15 दिनों में कोरोना के मामलों में तेज वृद्धि हो रही हैं। जहाँ मार्च तक कुल मामलों की संख्या मात्र डेढ़ हजार के आसपास थी, वहीं पिछले 15 दिनों में इसकी संख्या में करीब 7 गुना की वृद्धि हुई हैं और यह साढ़े 10 हजार की संख्या को पार कर गया हैं। अभी तो सिर्फ महाराष्ट्र में 2,500 के करीब लोग संक्रमित हो चुके हैं।

जिस तेज गति से कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही हैं, उससे ये उम्मीद जताई जा रही हैं आनेवाले दिनों में करीब 1 लाख से अधिक लोग कोरोना पॉजिटिव हो सकते हैं। यदि जल्द हालातों पर काबू नहीं पाया गया तो इस संख्या को 25 अप्रैल तक भी छुआ जा सकता हैं. इसलिए लॉकडाउन का सख्ती से पालन जरुरी बताया जा रहा हैं।

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