बुधवार के दिन मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई कि विधानसभा चुनाव में मिली हार से सबक लेकर मोदी सरकार लोकसभा चुनाव 2019 से पहले किसानों के हक में बड़ा फैसला ले सकती है। खबरों के मुताबिक, मोदी सरकार देशभर के करीब 26.3 करोड़ किसानों का 4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने की तैयारी में है। हांलाकि केंद्र सरकार ने इन दावों का खंडन किया है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में जिसने भी कर्जमाफ करने की घोषणा की, चुनाव परिणाम उसी के पक्ष में रहा। सूत्रों के मुताबिक, कर्जमाफी के लिए पैसे के आवंटन योजना पर शीघ्र काम होगा। वहीं कृषि मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेट्री अशोक दलवी के मुताबिक, कर्ज माफी का काम राज्यों का है। उन्होंने कहा कि देशभर के किसानों का कर्ज माफ करने का केंद्र सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं है। हां, सरकार का उद्देश्य किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी करना है।

विश्लेषकों के मुताबिक, गेंहू और धान की कीमतों में इजाफा करना या कोई अन्य आसान कदम उठाकर किसानों को लुभाने के लिए सरकार के पास अब बहुत कम वक्त बचा है। ऐसे में सरकार के लिए कर्जमाफी ही सबसे आसान विकल्प है। बता दें कि यूपीए सरकार ने साल 2008 में करीब किसानों का 72 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया था। इसके फायदा यह मिला कि साल 2009 में भी यूपीए की सरकार बनी।

साल 2017 में यूपी विधानसभा के दौरान मोदी सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की, लिहाजा भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई। पंजाब विधान सभा चुनाव में भी कांग्रेस ने किसानों से कर्ज माफ करने का वादा किया था। ​नतीजा बादल सरकार बेदखल हुई और कांग्रेस को सत्ता नसीब हुई।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने 10 तक गिनती करके कहा था कि केवल 10 दिनों में किसानों का कर्ज माफ कर देंगे। चुनाव परिणाम सबके सामने है।

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