सदियों तक मेहनत करने के बाद कोई मुल्क अमीर बनता है। इस स्टोरी में हम आपको दुनिया के ऐसे 10 देशों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी जमाने में बहुत अमीर हुआ करते थे, लेकिन अब उनकी माली हालत पतली हो चुकी है।

1- माली


दुनिया के गरीब देशों में से एक नाम माली है। इस देश के लोग खेती करके जीवन गुजारते हैं। पहले यह साम्राज्य काफी बड़ा था। मूसा के समय में इस देश ने काफी प्रगति की। मूसा 1 दुनिया के अमीर लोगों में से एक था। माली सोने का मुख्य निर्माता था। यह मिस्र, पर्सिया, जेनेवा और वेनिस से भी कारोबार करता था। 16वीं शताब्दी तक माली काफी संपन्न देश था, इसके बाद यह धीरे-धीरे कमजोर होता गया।

2- टर्की


हांलाकि टर्की कमजोर देश नहीं है, अपितु टर्की की जीडीपी कई यूरोपियन देशों से कम है। जबकि 16वीं शताब्दी में इस देश की आय पश्चिमी यूरोप से काफी अधिक थी। कभी इस देश में सुल्तान सुलेमान की हुकूमत हुआ करती थी। जिसका शासन काल 1520 से 1566 तक रहा। इस दौरान देश में सैन्य ताकत, धन दौलत और कला में काफी बढ़ोतरी हुई। प्रथम विश्व युद्ध में इस देश ने जर्मनी का साथ दिया था।

3- लातीविया


1930 ई. में लातीविया अपने पड़ोसी देशों फिनलैंड और डेनमार्क से भी ज्यादा अमीर था। कृषि और टिंबर ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी। उन दिनों लातीविया मीट, दूध और मक्खन का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाला देश था। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के समय लातीविया को नाजी ने पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। 1990 में दोबारा आजादी हासिल करने के बाद लातीविया यूरोपियन यूनियन का हिस्सा हो गया।

4- क्यूबा


दशकों तक अमेरिकी प्रतिबंधों का मारा क्यूबा ने 1959 में फिडेल कास्ट्रो की अगुवाई में आजादी की लड़ाई लड़ी। इसके बाद क्यूबा दुनिया के ऐसे देशों में शामिल हो गया, जहां के लोगों के पास सबसे अधिक कार और टेलीफोन थे। बाद में यह देश अमेरिकी लोगों के जुए का अड्डा बन गया। क्यूबा के सैन्य शासन ने संगठित अपराध, ड्रग और वैश्यावृत्ति को बढ़ावा दिया। 1990 केे आसपास क्यूबा की जीडीपी निम्न स्तर पर पहुंच गई। बावजूद इसके आज भी यहां के स्वास्थ्य और शिक्षा की दुनियाभर में तारीफ होती है।

5- इराक


1960-70 के दौर में इराक एक विकसित देश था। तेल और गैस भंडारों की प्रचुरता की वजह से इराक के निवासी शानदार जिंदगी ​जीते थे। लेकिन सद्दाम हुसैन के सत्ता में आते ही इस देश के बुरे दिन शुरू हो गए। तानाशाह सद्दाम हुसैन ने दुनिया के ताकतवर देशों से आठ साल तक युद्ध लड़ा। कुवैत से झगड़ा और गल्फ वार ने ईराकी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी। फिलहाल ईराक की अर्थव्यवस्था में थोड़ा सुधार देखने को मिला है।

Related News