इंटरनेट डेस्क। हम सभी को अक्सर विभिन्न समाचार पत्रों तथा टेलीविजन आदि के माध्यम से यह पढ़ने और देखने को मिल जाता है कि ज्यादातर मौकों पर शिवसेना बीजेपी के विरूद्ध हमलावर मुद्रा में नजर आती है। बीजेपी से नाराज चल रही शिवसेना के वरिष्ठ नेता कभी कभी समर्थन वापसी की भी बात करते नजर आते हैं।

लेकिन विपक्ष द्वारा शुक्रवार को एनडीए सरकार के विरूद्ध अविश्वास लाने के दौरान शिवसेना ने तटस्थ रहने का फैसला ले लिया। इतना ही नहीं मत विभाजन से पहले ही शिवसेना ने बीजद के साथ वाकआउट भी कर दिया। इसका सीधा फायदा एनडीए सरकार को मिला।

लिहाजा शिवसेना और बीजद सांसदों की गैर मौजूदगी में मोदी सरकार को बहुमत साबित करने में कम सांसदों की जरूरत पड़ी। परिणामस्वरूप मोदी सरकार सदन में बहुमत साबित करने में सफल रही। मत विभाजन के दौरान मोदी सरकार को 325 वोट मिले जबकि विपक्ष को मात्र 126 वोटों से ही संतोष करना पड़ा।

बता दें कि शिव सेना सांसद अरविंद सावंत ने अविश्वास प्रस्ताव पेश करने से पहले ही यह बयान दे दिया था, कि उनकी पार्टी की नाराजगी बीजेपी के विरूद्ध अभी बरकरार है। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के दौरान शिवसेना के 18 सांसद लोकसभा में मौजूद नहीं रहेंगे।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शिवसेना ने अपने इस कदम से प्रत्यक्ष तरीके से बीजेपी को मदद पहुंचाई है। क्योंकि कम सांसदों की मौजूदगी में पीएम मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने आसानी से बहुमत साबित कर लिया।

गौरतलब है कि शिवसेना ने बीजेपी को केंद्र सरकार तथा महाराष्ट्र में अपना समर्थन दे रखा है। हांलाकि बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत है। बावजूद इसके यह पार्टी हमेशा बीजेपी के विरूद्ध हमलावर मुद्रा में नजर आती है।

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