दिन पर दिन कोरोना अपनी चल बदल रहा है , क्योकि हाल ही में WHO के वैज्ञानिक ने कहा है कि कोरोना के जो बिना लक्षण वाले केस हैं, उनकी खोज और रोकथाम में बहुत समय लगाया जा रहा है. लेकिन ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि बिना लक्षण वाले केस यानी asymptomatic केसों से दूसरे लोगों में कोरोना फैल सकता है, इस बारे में पुख़्ता सबूत उपलब्ध नहीं हैं. WHO के इस बयान के बाद वैज्ञानिकों ने पलटकर WHO से ही सबूत मांग लिए हैं।

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“ऐसा शायद ही मुमकिन है कि बिना लक्षण वाले कोरोना पॉज़िटिव किसी और को कोरोना का इंफ़ेक्शन दे सकते हैं. ऐसे में सरकारों को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए कि लक्षण वाले कोरोना मरीज़ों में कोरोना की रोकथाम कैसे की जाए.”

आशीष झा हॉर्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर का कहना है कि “WHO जो कह रहा है, उससे वायरस और उसके संक्रमण को लेकर पूरी समझ एकदम से बदल जाती है, ये कोई छोटी बात नहीं है. WHO की कही बात के बहुत सारे परिणाम हो सकते हैं, ऐसे में WHO को अपनी बात की सही संदर्भ के साथ व्याख्या करनी चाहिए।

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आशीष झा आगे कहते हैं,“किसी भी व्यक्ति में सिम्प्टम आने के पहले उस व्यक्ति से इन्फ़ेक्शन फैलने का ख़तरा सबसे ज़्यादा होता है. WHO को इस बारे में और विस्तार से बात करनी चाहिए. और सबूतों के साथ. क्योंकि इससे तो पूरा वायरस के स्प्रेड को लेकर जो हमारी सोच है, वो ही बदल जाती है.”

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