गांधी परिवार को भारतीय राजनीति की नीवं रखने के लिए जाना जाता है। गांधी परिवार में शुरुआत से ही सभी राजनीति में सक्रिय रहे हैं और अपना सिक्का चलाने के लिए ये अलग अलग तरह के नियम कानून भी लेकर आए हैं। एक ऐसा ही कानुन संजय गांधी भी लेकर आए थे। जिसके कारण वे काफी सुर्खियों में रहे थे।


संजय गांधी अपने समय में एक नया अभियान लेकर आए और वो था लोगों की नसबंदी करवाना। क्योंकि यह एक ऐसा अभियान था जिसके कारण सारे देश में त्राहिमाम मच गई थी। लोग कहीं आने जाने में भी डरने लगे थे कि उन्हें नसबंदी ना करवानी पड़े।

The Key to Instant Entertainment and Freedom of Expression

सबको ये सूचना जारी कर दी गई कि जो अपनी नसबंदी नहीं करवाता है उसकी सैलरी रोक ली जाएगी और साथ ही उस पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा।

लेकिन सवाल यह है कि आखिर में क्यों संजय गांधी के लिए यह अभियान इतना जरूरी हो गया था कि उन्होंने कॉलेज के स्टूडेंट्स तक की नसबंदी करवा दी थी।

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62 लाख लोगों की हुई थी नसबंदी

नसबंदी अभियान इमरजेंसी के दौरान चलाया गया था। उस समय पुलिस गाँव और शहरों के लोगों को घेरकर पुरुषों की जबरदस्ती नसबंदी करवा रही थी। जानकारी के अनुसार इस अभियान के तहत 62 लाख लोगों की नसबंदी हुई थी। इतना ही नहीं ये तक भी सुनने में आया कि गलत ऑपरेशन के कारण 2 हजार लोगों की मौत तक हो गई।

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प्रभावी नेता बनने के लिए उठाया था ये कदम

राजीव गांधी एक प्रभावी नेता बनना चाहते थे और उसी कारण वे ये नसबंदी अभियान लेकर आए। उनके लिए ये काफी जरूरी बन गया था। दूसरी और उस समय भारत की जनसंख्या काफी अधिक थी और जनसंख्या को और भी बढ़ने से रोकने के लिए इंटरनेशनल लेवल पर भी उनपर काफी दबाव था। ऐसे में परिवार नियोजन मुद्दा, राजनीति में उन्हें एक अहम मुद्दा लगा जिसे लेकर वे विचार कर सकते थे।

हो सकता था ये अच्छा अभियान

यह एक अभियान देश का सबसे अच्छा अभियान साबित हो सकता था लेकिन इसके लिए पहले उन्हें लोगों को जागरूक करना चाहिए था और बढ़ती जनसंख्या और परिवार नियोजन के बारे में जानकारी देनी चाहिए थी।

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