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दोस्तों आपको बता दें कि रोजगार के तिमाही आंकड़ों की दो रिपोर्ट अभी तक लंबित हैं। 2016-17 की रिपोर्ट 18 महीनों से जारी नहीं की गई है। इससे पहले 2015-16 की रिपोर्ट सितंबर 2016 में प्रकाशित की गई थी। हांलाकि 2014-15 में भी कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि देश में बेरोजगारी बढ़ी है। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव- 2019 को देखते हुए केंद्र सरकार इन आंकड़ों को जारी करने से बच रही है। दोस्तों, इस समय शिक्षित युवाओं के सामने सबसे बड़ा संकट रोजगार का ही है। देश की कुल बेरोजगारी दर के मुकाबले ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और उससे ऊपर की शिक्षा पाए लोगों की बेरोजगारों की दर छह गुना ज्यादा है।

जी हां, दोस्तों, बेरोजगारी को लेकर मोदी सरकार अभी भी सवालों के घेरे में है। प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने केवल 2017 में ही 1.28 करोड़ रोजगार पैदा किए। जबकि अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सस्टेनेबल इम्प्लॉयमेंट की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से पहले तीन साल के दौरान लगभग 70 लाख नौकरियां खत्म हो गईं।

देश की जीडीपी में बढ़ोतरी के बावजूद रोजगार पैदा नहीं हो पा रहा है। अकेले नोटबंदी के दौरान ही करीब 35 लाख नौकरियां खत्म हुईं थीं। एसएमई सेक्टर में 35 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक नौकरियां घटीं। सीएमआईई की रिपोर्ट की मानें तो 2016 से 2017 के बीच रोजगार घटने का आंकड़ा और भी कम हो सकता है।

15-25 वर्ष आयु वर्ग के 60 फीसदी लोग बेरोजगार

साल 2011 से 2015 केे बीच देश के श्रम बल में 15 से 29 वर्ष की आयु वाले युवाओं की एक बड़ी भागीदारी थी। रिपोर्ट के अनुसार, इस समय ऐसे बेरोजगारों की संख्या 60 फीसदी है, जिनकी आयु 15 से 25 साल के बीच है। इसमें करीब 60 प्रतिशत पुरूष वर्ग के लोग ही बेरोजगार है।

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