राजस्थान का वह मुस्लिम नेता जिसे राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने के लिए इंदिरा गांधी ने खुद फोन किया था। जी हां, उस नेता का नाम था बरकतुल्लाह खान। बता दें कि उन दिनों सुखाड़िया सरकार में कैबिनेट मंत्री बरकतुल्लाह खान लंदन में थे। दरअसल 1971 के जुलाई महीने में सैन्य हमले से पूर्व भारत-पाक तनाव के बीच एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल लंदन गया था, और बरकतुल्लाह खान उसी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे। इंदिरा गांधी ने लंदन फोन किया, फोन रिसीव करने वाले ने कहा- मैडम प्यारे मियां से बात करना चाहती हैं।

जैसे ही प्यारे मियां ने फोन थामा, मैडम की आवाज सुनाई दी- वापस लौट आओ, तुम्हे राजस्थान का सीएम बनाया गया है। प्यार मियां बोले- जी भाभी। इस प्रकार उन दिनों राजस्थान की सुखाड़िया सरकार के मंत्री बरकतुल्लाह खान राजस्थान के छठे मुख्यमंत्री बने।बता दें कि बरकतुल्लाह खान प्यार से इंदिरा गांधी को भाभी कहते थे। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कौन सा रिश्ता था। जी हां, फिरोज़ गांधी के दोस्त थे बरकतुल्लाह खान। सच कहें तो दोस्ती की वजह से प्यारे मियां की अचानक लॉटरी लग गई। जोधपुर के एक छोटे कारोबारी परिवार में जन्मे बरकतुल्लाह खान पढ़ाई करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय गए।

वहीं उन्हें एक लड़की से प्यार हुआ और फिर शादी हुई। एक दिन लॉ फैकल्टी के सीनियर्स अपने जूनियर्स से इंट्रो ले रहे थे, तभी एक लड़की ने कहा कि मेरा नाम ऊषा मेहता है। लेकिन आप मुझे ऊषा कहें, क्यों मुझे जाति-धर्म से कुछ लेना-देना नहीं है। हांलाकि इस बात पर सभी हंसने लगे लेकिन ऊषा मेहता की बात बरकतुल्लाह खान को बहुत अच्छी लगी। क्योंकि बरकत भी खुद जाति-धर्म नहीं मानते थे। एक दिन कैंटीन में प्लेट की अदला-बदली के बाद इन दोनों की प्रेम कहानी शुरू हो गई। बरकत ऊषा से 15 साल बड़े थे, बावजूद इसके दोनों शादी करने का फैसला कर लिया था। बरकतुल्लाह खान और ऊषा मेहता ने कोर्ट मैरिज की थी।

1948 की बात है, एक दिन जयनारायण व्यास बरकत के घर पहुंचे और उनके पिता से बोले-काजी साहब, आपका बेटा बैरिस्टर है, आपकी बिरादरी से एक मंत्री चाहिए इसलिए आपके बेटे को मंत्री बना रहे हैं। इस प्रकार बरकतुल्लाह खान मंत्री बनाए गए। धीरे-धीरे वक्त बीता 1949 में राजस्थान बना और लोकप्रिय सरकारें खत्म हो गईं। 1952 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के दामाद फिरोज गांधी रायबरेली से सांसद भी थे। जब राजस्थान से राज्यसभा के लिए नाम तय किया गया तो फिरोज गांधी ने बरकतुल्लाह खान का नाम आगे कर दिया। इस प्रकार बरकतुल्लाह खान सांसद हो गए। यही से शुरू हुई थी बरकत और फिरोज भाई की दोस्ती।

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