दोस्तों, आपको बता दें कि 1945 के पहले ही युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह हराकर भारतीय सेना ने अपनी ताकत का लोहा मनवाया। इस युद्ध में भारतीय सेना के रणबांकुरे सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा रोघोवा राणे को उनके असीम शौर्य के लिए उन्‍हें 8 अप्रैल 1948 को सेना के सर्वोच्‍च पदक परमवीर चक्र से नवाजा गया।

बता दें कि 26 जून 1918 को धारवाड़ जिले के हवेली गांव में रामा रोघोवा राणे का जन्‍म हुआ था। 10 जुलाई 1940 को बांबे इंजीनियर्स से उन्होंने अपने सैन्‍य जीवन की शुरूआत की। बेमिसाल बहादुरी और नेतृत्व क्षमता के चलते राणे को जल्‍द ही सेकेंड लेफ़्टिनेंट पद पर नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में कर दी गई।

यह उन दिनों की बात है जब भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 में युद्ध जोरों पर था। इस युद्ध में भारतीय सेना ने नौशेरा में फतह हासिल की थी। इस जीत के साथ ही इंडियन आर्मी ने आक्रामण रूख अख्तियार करने का निर्णय लिया। फलस्वरूप सेकेंड लेफ़्टिनेंट रामा रोघोवा राणे ने रास्ते में पड़ने वाले माइन क्षेत्रों का सफाया कर भारतीय सेना के टैंकों व वाहनों लिए सुरक्षित रास्‍ता उपलब्‍ध कराया था। सेकेंड लेफ़्टिनेंट रामा रोघोवा राणे की बदौलत 18 मार्च 1948 को इंडियन आर्मी ने झांगार पर दोबारा जीत हासिल की थी।

Related News