लवामा हमले के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते हाफिज़ सईद के संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर बैन लगा दिया है। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम तक नहीं लिया है। बताया जा रहा है कि पुलवामा हमले के बाद चौतरफा घिरे पाकिस्तान ने एक बार फिर से आतंकी संगठनों पर दिखावे की कार्रवाई की है। इससे पहले भी पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते सियासी पैंतरे आजमाता रहा है।

बता दें कि पाकिस्तान ने जब-जब हाफिज़ सईद के संगठन पर बैन लगाया है, तो हर बार हाफिज़ सईद एक नए आतंकी संगठन के साथ दुनिया के सामने आया है। जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर अभी भी पाकिस्तान आर्मी की सुरक्षा में है। बता दें कि जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर बैन के बावजूद हाफिज सईद पाकिस्तान में रैलियां करते देखा गया।

बावजूद इसके पाकिस्तान का चेहरा बेनकाब होता दिख रहा है। क्योंकि जहां वो एक तरफ दुनिया के सामने खुद को आतंक ग्रसित देश दिखाने के लिए इन संगठनों पर कार्रवाई कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत के खिलाफ साजिश भी रच रहा है।

बता दें कि पाकिस्तान सुरक्षा समिति की बैठक में प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को अपनी सेना को खुली छूट दी है कि वह भारत पर कार्रवाई करे। इसके बाद से पाकिस्तानी सेना ने बॉर्डर पर अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं।

गौरतलब है कि पाकिस्तान सरकार की ओर से आतंकी संगठनों जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर की गई कार्रवाई भारत अथवा अंतरराष्ट्रीय दवाब के चलते नहीं है। बल्कि अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक होने वाली है, उसमें पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में शामिल है।

यह संस्था कुछ देशों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए पैसा मुहैया कराती है। भारत की यह कोशिश है कि पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स से ब्लैकलिस्ट करवाए ताकि पाकिस्तान को कहीं से भी आर्थिक मदद नहीं मिल पाए।

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