यह घटना उन दिनों की है जब 7 सितंबर 1965 की आधी रात पाकिस्तानी नौसेना के युद्धपोतों ने द्वारका शहर से केवल 5.8 नॉटिकल मील की दूरी तक आकर गुजरात तट पर 4 मिनट के अंदर करीब 50 गोले दागे। पाकिस्तान की नौसेना ने इसे ऑपरेशन द्वारका नाम दिया था।

दरअसल पाकिस्तानी नौसेना के इस हमले का मकसद उस रडार स्टेशन को नष्ट करना था, जो भारत को अरब सागर में नेवी की गति​विधियों की निगरानी करनें मदद करता था। पाकिस्तान की नौसेना 4 मिनट तक बमबारी करती रही। लेकिन जामनगर स्थित भारतीय एयरफोर्स द्वारा किए जाने वाले हवाई हमले के डर से कराची लौट गई।भारतीय नौसेना की टीम अगले दिन सुबह घटनास्थल पर मुआयना करने गई। नेवी टीम के मुताबिक, पाकिस्तानी नौसेना की ओर से दागे गए गोले रेलवे स्टेशन और मंदिर की जमीन पर गिरे थे। हमले में एक गेस्ट हाउस और एक स्टीम इंजन को क्षति पहुंची थी। इस घटना में सिर्फ एक गाय की मौत हुई थी, जो हमले के समय इसके आस-पास थी। पाकिस्तान की नौसेना ने 50 गोले दागे थे, 40 गोले फटे ही नहीं।

भारतीय नौसेना के मुताबिक, द्वारका में कोई रडार स्टेशन नहीं था। यह दावा केवल पाकिस्तान की नौसेना करती है। पाकिस्तानी नौसेना का कहना था कि ऑपरेशन द्वारका के तहत उन्हे चार सूत्री कामयाबी मिली। पहला भारतीय नौसेना की यूनिट को पनडुब्बी गाजी से हमले के लिए बाहर लाना, दूसरा रडार स्टेशन को नष्ट करना, तीसरा भारतीय सेना का मनोबल गिराना और चौथा इंडियन एयरफोर्स को उत्तर दिशा से दूसरी तरफ मोड़ना था। गौरतलब है कि पाकिस्तान की नौसेना इसी हमले के उपलक्ष्य में 8 सितंबर को विजय दिवस मनाती है।

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