पठानकोट, उड़ी और पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले समूची दुनिया को हिलाकर दिया था। बता दें कि अपने आस्तीन में आतंकी सांप पालने वाले पाकिस्तान को पहली बार उपेक्षित और हताशा का शिकार होना पड़ा है। पाकिस्तान की किरकिरी तब भी नहीं हुई थी, जब अमेरिकी कमांडो ने पाकिस्तान के एबटाबाद में आतंकी ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। आज की तारीख में पाकिस्तान की लिटमस टेस्ट रिपोर्ट सभी मुल्कों के सामने है।

अब पाकिस्तान के सामने सिर्फ दो विकल्प हैं या तो अपने ही आतंकियों के हाथों खुद ही तबाह हो जाए या फिर हालात से सीख लेकर खुद को आतंक से मुक्त कर ले। पाकिस्तान ने भारत का इतना गुस्सा 1947, 1965, 1971, 1999 में भी नहीं देखा था। पश्चिम के ताकतवर देशों और इस्लामिक देशों को इस बात का अहसास हो चुका है कि पाकिस्तान ने हर बार हिंदुस्तान की सहिष्णुता का फायदा उठाया है।

जब-जब भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहा तब-तब अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में मौजूद पाकिस्तान के कुछ शुभचिंतक आड़े आ गए। इस बार ऐसा नहीं हुआ, अमेरिका, चीन से लेकर सऊदी अरब तथा संयुक्त अरब अमीरात तक ने पाकिस्तान से अपना मुंह मोड़ लिया। बता दें कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब आबूधाबी में इस्लामिक सहयोग संगठन ने हिंदुस्तान को गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर निमंत्रित किया।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस सम्मेलन में भारत का पक्ष बड़ी मजबूती रखा। वहीं पाकिस्तान ने सम्मेलन के बहिष्कार की धमकी दी, लेकिन नतीजा यह निकला कि सम्मेलन में उसकी कुर्सी खाली पड़ी रही।गौरतलब है कि हिंदुस्तान संसार की कुल मस्लिम आबादी का तीसरा बड़ा देश है। ऐसा लग रहा है कि 57 सदस्यों वाले इस संघ में पाकिस्तान का वर्चस्व अब गायब होने जा रहा है, क्योंकि इस मुस्लिम संगठन का सदस्य बनते ही पाकिस्तान इस मंच का इस्तेमाल कभी भी भारत की आलोचना के लिए नहीं कर पाएगा।

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