इंटरनेट डेस्क। 1971 में हुई लोंगेवाला की लड़ाई 2000 पाकिस्तानी सैनिकों तथा मात्र 120 भारतीय सैनिकों के बीच लड़ी गई थी। आपको बता दें कि पाकिस्तानी सेना के पास मोबाइल इंफैंट्री ब्रिगेड के अलावा 45 टैंक मौजूद थे। जब कि 120 भारतीय सैनिकों के पास केवल एम-40 राइफल और एक जीप थी। रातभर चली इस लड़ाई में 2000 पाकिस्तानी सैनिकों के सामने केवल 2 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।

इस युद्ध की अगुवाई करने वाले मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के अनुसार, रातभर केवल एक ही नारा गूंजता रहा-जो बोले सो निहाल सतश्री अकाल। पाकिस्तानी सेना लोंगवाला फतह कर रामगढ़ चौकी होते हुए जैसलमेर पर कब्जा करना चाहती थी। लेकिन उन 120 भारतीय सैनिकों ने 45 टैंकों वाली इस पाकिस्तानी सेना को एक इंच भी आगे बढ़ने नहीं दिया।

जीप पर लगे मोर्टार और रिकॉयललैस राइफल के सहारे भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी। युद्ध की पहली रात 120 सैनिकों की इस टुकड़ी ने 12 पाकिस्तानी टैंक नष्ट कर दिए थे। भारतीय सेना की इस टुकड़ी ने पाकिस्तानी सेना को 8 किमी. अंदर तक खदेड़ दिया था। हांलाकि इस युद्ध में भारतीय वायुसेना के दो हंटर विमानों ने पाकिस्तानी सेना में कील ठोकने का काम किया था।

गौरतलब है कि जैसलमेर के लोंगेवाला चौकी पर हुए इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना को कुल 34 टैंकों, 200 जवानों तथा 500 सौ सैन्य वाहन गवां दिए थे। बावजूद इसके यह सेना इस चौकी पर कब्जा नहीं कर पाई। पाकिस्तानी सेना ने अपने युद्ध इतिहास में पहली बार एक रात में इतनी ज्यादा संख्या में टैंकों की बर्बादी देखी।

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