इंटरनेट डेस्क। आज हम आपसे एक ऐसे की शख्स की बात करने जा रहे हैं, जिसने आजीवन कभी चुनाव नहीं लड़ा। फिर भी देश की सियासत से जुड़े हर कद्दावर सख्श को उसकी चौखट पर एक बार जरूर जाना पड़ा।

इस शख्स का नाम देश का बच्चा-बच्चा जानता है। जी हां, हम शिव सेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की बात कर रहे हैं। बाल ठाकरे के एक इशारे पर पूरी मुंबई थम जाती थी। बॉलीवुड से लेकर मुंबई हर संस्थान तथा देश की सियासी हलचल में उनकी तूती बोलती थी।

कहा जाता है कि मुंबई से अंडरवर्ल्ड का सफाया करने में बाल ठाकरे का प्रमुख योगदान रहा। साल 1950 के आस पास टाइम्स इंडिया के संडे एडिशन में पेशे से कार्टूनिस्ट बाल ठाकरे के ही कार्टून छपते थे। 1960 में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी।

शिव सेना के मुखपत्र सामना के जनक भी बाला साहेब ठाकरे ही हैं। देश में बाला साहेब ठाकरे ही एक मात्र ऐसे शख्स रहे जो कभी चुनाव नहीं लड़े, लेकिन विरोधी भी उनके यहां हाजिरी लगाते थे।

मुंबई को देश की राजधानी के रूप में देखने वाले वाले बाला साहेब खुली धमकी देने के लिए प्रख्यात थे। चांदी के सिंहासन पर बैठने वाले बाल साहेब कभी किसी से मिलने नहीं गए। भारत की हर बड़ी हस्ती उनसे मिलने के लिए उनके आवास मातोश्री पहुंच जाती थी।

प्रणव मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और नरेंद्र मोदी से लेकर पूरा बॉलीवुड उनसे मिलने के लिए उनके घर पहुंचता था।

टीवी शो आप की अदालत में शरीक होने आए बाला साहेब ठाकरे से पूछा गया कि सुना है 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई, यह काम शिवसैनिकों ने किया है।

तब उन्होंने कहा कि यदि ये काम शिवसैनिकों ने किया है, तो यह एक गर्व की बात है। बाल साहेब ठाकरे ना ही कभी सांसद रहे और ना ही मुख्यमंत्री लेकिन उनके निधन बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई थी।

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