अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा, कारगिल युद्ध के दौरान नरेंद्र मोदी ने निभाई थी अहम भूमिका
इंटरनेट डेस्क। आज के ही दिन यानि 26 जुलाई 1999 को इंडियन आर्मी ने कारगिल युद्ध में पाक आर्मी को पराजित कर दिया था। इसके बाद से हर साल 26 जुलाई को पूरे देश में बड़े गर्व के साथ विजय दिवस मनाया जाता है। 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में हुए इस जंग में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए थे। जबकि 1300 से ज्यादा घायल हुए थे।
आज की तारीख में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडियन आर्मी को खुली छूट दे रखी है कि दुश्मनों को उन्हीं की भाषा में जवाब दो। जम्मू में सेना का आपरेशन आल आउट आतंकियों के खात्मे के साथ ही बंद होगा। बता दें कि साल 1999 में भी नरेंद्र मोदी कारगिल युद्ध के दौरान चुप नहीं बैठे थे। उन्होंने पाक आर्मी को कारगिल से पीछे लौटने के लिए सबसे अहम भूमिका निभाई थी।
अमेरिकी सुरक्षा एजेसिंयों के हाथ कुछ जरूरी दस्तावेज लगे हैं। इन दस्तावेजों से इस बात का खुलासा हुआ है कि कारगिल युद्ध के समय बतौर संघ प्रचारक नरेंद्र मोदी 1 जुलाई 1999 को अमेरिका के न्यू जर्सी पहुंचे थे। मोदी के इस दौरे के ठीक 5 दिन बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी वाशिंगटन गए थे।
उस समय आरएसस के वाहक बनकर नरेंद्र मोदी अमेरिकी सरकार पर दबाव बनाने के लिए वाशिंगटन गए थे। कारगिल युद्ध के समय तत्कालीन अमेरिकी प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन का खुले रूप से पाक को समर्थन था। जबकि उस समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यह मंशा थी कि अमेरिका कारगिल युद्ध बंद करने के लिए पाक पर दबाव बनाए।
इस दौरान वाशिंगटन में नरेंद्र मोदी ने ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ द बीजेपी की मदद से कई अमेरिकी सांसदों के साथ बैठक की। इस बैठक के बाद कई अमेरिकी सांसदों ने बिल क्लिंटन पर यह दबाव बनाया कि वह पाकिस्तान को अपनी सेना कारगिल से वापस लौटाने का आदेश जारी करें।