नरेंद्र मोदी ने स्वयं बताया यह रहस्य, वह 2 वर्षों तक क्यों रहे थे हिमालय में ?
अभी हाल में ही हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फेसबुक पेज ह्यूमंस ऑफ बांबे के जरिए एक साक्षात्कार के दौरान कई महत्वपूर्ण बातों का खुलासा किया है। इस साक्षात्कार में उन्होंने अपने युवावस्था के दिनों में आध्यात्मिक यात्रा से जुड़े कई विवरण साझा किए। हांलाकि इस साक्षात्कार को पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल पर भी शेयर किया गया है।
पीएम मोदी ने कहा कि अपने शुरूआती दिनों में आत्मावलोकन करने के लिए वह हर दिवाली पर पांच दिन जंगल में बिताते थे। इससे उन्हें अपने जीवन और इसके विभिन्न अनुभवों से पार पाने में मदद मिलती थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि वह इतना खाना अपने साथ ले जाते थे, कि वह पांच दिन तक काम आ जाए। पीएम मोदी के मुताबिक, मैं उस जंगल में चला जाता जहां सिर्फ स्वच्छ जल के अलावा कोई व्यक्ति तक नहीं हो। वहां न अखबार, न रेडियो और न ही टीवी, इंटरनेट की सुविधा होती थी। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वह अपने जीवन की आपा धापी से दूर कुछ समय आत्मावलोकन के लिए अवश्य निकालें।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हिमालय प्रवास के दिनों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि मैं अनिश्चित, अनिर्देशित और अस्पष्ट था। मैं नहीं जानता था कि मैं कहां जाना चाहता था, क्या करना चाहता था और क्यों करना चाहता था। इसलिए मैंने खुद को भगवान को समर्पित कर दिया और 17 साल की उम्र में हिमालय में चला गया। पीएम मोदी ने बताया कि वह उन दिनों ब्रह्म मुहुर्त में करीब तीन से पौने चार बजे के बीच जग जाते थे और हिमालय के बर्फीले पानी में स्नान करते थे, बावजूद इसके उन्हें गर्माहट महसूस होती थी।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस साक्षात्कर को फेसबुक पेज ह्यूमंस ऑफ बांबे पर बुधवार को पोस्ट किया गया। बता दें कि ह्यूमंस ऑफ बांबे किस्सागोई करने वालों का एक समूह है, जो व्यक्तियों के जीवन यात्रा के माध्यम से यह बताने की कोशिश करता हैं कि हर व्यक्ति विशिष्ट, प्रेरणादायी और भरोसेमंद है।