लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान मोदी लहर ने एक झटके में ही देश की सभी सियासी पार्टियों को चुनावी समंदर में डुबो दिया था। मोदी सरकार ने जनता की उम्मीदों को भरसक पूरा करने का प्रयास किया है, लेकिन कुछ बुनियादी मुद्दे आज भी पूरे नहीं हो पाए हैं। विशेषकर बेरोजगारी, गरीबी और किसानों की माली हालत में उल्लेखनीय सुधार नहीं हो सका है।

रोजमर्रा के सामानों की कीमतों में कमी भी मोदी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। आपको बता दें कि 31 जनवरी से बजट सत्र 2019 की शुरूआत होने वाली है। ऐसे में मोदी सरकार मिडिल क्लास लोगों के लिए जादू का पिटारा खोल सकती है। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देकर मोदी सरकार ने अपनी बाजी चलनी शुरू कर दी है। इस स्टोरी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि बजट सत्र 2019 में मोदी सरकार कौन-कौन से बड़े ऐलान कर सकती है।

1- किसानों को हर माह वित्तीय मदद
मोदी सरकार देश के किसानों को प्रति माह सैलरी देने का ऐलान कर सकती है। इसके अलावा किसानों को खेती के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने की पूरी योजना है। बता दें कि किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से 4 हजार रुपए दिए जाने की घोषणा की जा सकती है। हांलाकि इन रुपयों के साथ कुछ शर्तें भी हो सकती हैं, जैसे-खाद, बीज और सिंचाई के लिए ही इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

2- किसानों के लिए ब्याज मुक्त ऋण
बजट सत्र 2019 में किसानों को ब्याज मुक्त ऋण दिए जाने की घोषणा भी की जा सकती है। बताया जा रहा है कि एक लाख रुपए तक का ऋण ब्याज मुक्त होगा। मोदी सरकार द्वारा किसानों को एक लाख रुपए तक ब्याज मुक्त ऋण देने पर 2.30 लाख करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है। सरकार इसकी घोषणा यूनिवर्सल बेसिक इनकम के तहत करेगी।

3- इनकम टैक्स में छूट
मोदी सरकार की नजर मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है। ऐसे में बजट सत्र 2019 में मोदी सरकार इनकम टैक्स को लेकर एक बड़ा फैसला कर सकती है। आयकर में छूट की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख तक किया जा सकता है। अभी कुछ ही दिनों पहले उद्योग संगठन सीआईआई ने आयकर छूट की सीमा 5 लाख रुपए तक किए जाने की मांग की थी।

4- होम लोन सस्ता
मोदी सरकार एक अप्रैल 2019 से देश की जनता को एक बड़ा तोहफा देने जा रही है। बता दें कि रिजर्व बैंक ने सभी प्रकार के लोन ब्याज दर को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। आरबीआई ने एक बड़े फैसले के तहत होम ऑटो और पर्सनल लोन से जुड़ा एक नियम बदल दिया है। नए नियम के मुताबिक आरबीआई के ब्याज दरों पर फैसला लेते ही बैंकों को भी कदम उठाना होगा। मतलब साफ है कि अगर आरबीआई रेपो रेट घटाता है तो बैंकों को कर्ज सस्ता करना होगा। ऐसे में आपकी ईएमआई घट जाएगी

5. जीएसटी में हो सकते हैं बदलाव
आपको बता दें कि वर्तमान में निर्माणाधीन मकानों पर लगने वाली 12 फीसदी जीएसटी में से आधे से ज्यादा हिस्सा इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में बिल्डर को वापस कर दिया जाता है। ऐसे में वास्तविक जीएसटी महज 5.6 फीसदी ही होता है। लिहाजा मोदी सरकार 80 फीसदी इनपुट पंजीकृत डीलर से खरीदने वाले बिल्डर्स पर केवल 5 फीसदी जीएसटी लगाने का विचार कर रही है।

Related News