बेगूसराय में क्या कन्हैया कुमार को भूमिहारों का वोट नहीं मिलेगा?
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बेगूसराय के लोगों का मानना है कि यहां से चाहे जो जीते लेकिन कन्हैया कुमार के कारण इस शहर की चर्चा पूरे देश में हो रही है। कन्हैया कुमार के कारण बेगूसराय में सैकड़ों ऐसे लोग पहुंचे हैं, जो इससे पहले बिहार कभी नहीं आए। यहां तक कि कन्हैया कुमार के चुनावी अभियान को देखने के लिए कुछ विदेशी रिसर्चर भी बेगूसराय पहुंचे हैं।
फ़्रांस के थॉमस इन्हीं रिसर्चरों में से एक हैं। थॉमस का अनुमान है कि कन्हैया कुमार को हर जाति से वोट मिलेगा। लेकिन इस बात की संभावना है कि कन्हैया को सबसे कम वोट उनकी अपनी जाति भूमिहार से मिले। थॉमस पिछले 12 दिनों से बेगूसराय में हैं, वो मुस्लिम बस्तियों में जा रहे हैं, दलितों से मिल रहे हैं।
थॉमस को बेगूसराय की गलियों और गांवों में झारखंड के सरफ़राज़ घूमा रहे हैं। दरअसल सरफ़राज़ जेएनयू में इतिहास से एमए कर रहे हैं। जेएनयू के छात्र सरफ़राज़ का कहना है कि मुसलान वोट कन्हैया को लेकर बहुत आशान्वित हैं। हांलाकि तनवीर हसन के कारण इनके मन में पसोपेश की स्थिति ज़रूर है। लेकिन इतना तय है कि करीब 50 फ़ीसदी से ज़्यादा मुसलमानों का वोट कन्हैया कुमार को मिलेगा।
जानकारी के लिए बता दें कि बेगूसराय में मुसलान मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख है। जबकि बेगूसराय में भूमिहार मतदाताओं की संख्या 4 लाख से ज़्यादा है। भूमिहारों के बाद दलित मतदाताओं की संख्या सबसे ज़्यादा हैं। सरफ़राज़ कहते हैं कि कन्हैया को अपनी जाति से बहुत ज़्यादा वोट नहीं मिलेगा।
हांलाकि बेगूसराय के आम मुसलमान राजद उम्मीदवार तनवीर हसन के साथ रहने की बात करते हैं। सोमवार को बेगूसराय के बछवाड़ा में तेजस्वी यादव की रैली में आए मोहम्मद तबरेज़ ने एक सवाल के जवाब में कहा कि तनवीर हसन ठीक हैं, कन्हैया भी ठीक हैं। लेकिन कन्हैया कुमार को सीपीआई से नहीं लड़ना चाहिए था। कन्हैया कुमार निर्दलीय रहते तो ज़्यादा अच्छा होता।
बेगूसराय में सीपीएम नेता और वामपंथी विचारक भगवान प्रसाद सिन्हा मानते हैं कि कन्हैया का कोई वोट बैंक नहीं है। वोट बैंक है तनवीर हसन और बीजेपी का। कन्हैया कुमार को अपनी ही जाति से बहुत कम वोट मिलेगा। सिन्हा मानते हैं कि कन्हैया के उभार से तेजस्वी ख़ुद को राजनीतिक रूप से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसलिए बेगूसराय में तनवीर हसन को महागठबंधन का उम्मीदवार बना दिया।
बेगूसराय में वोटों की लड़ाई कन्हैया और तनवीर हसन में सबसे ज़्यादा है क्योंकि दोनों का निशाना एक ही जगह है। बीजेपी को लग रहा है कि इन दोनों की लड़ाई में उसे फ़ायदा होगा। कई लोग मानते हैं गिरिराज सिंह अपनी जीत को लेकर बिल्कुल आश्वस्त हैं और यह भाव तनवीर और कन्हैया के मैदान में होने से और मज़बूत हुआ है।