कभी मायावती को था इनसे प्यार, लेकिन किस्मत ने खेला ऐसा खेल कि ,,,
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती 64 साल की हो चुकी है। वो उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में दलित राजनीति का चेहरा बनी मायावती का जन्मदिन चर्चा में बना रहता है।
वैसे उनके जीवन में बहुत सी कठनाई आई लेकिन हर मुश्किल को प्रकार वो आगे बढ़ी ,अजय बोस की किताब ‘बहन जी’ में उनके जीवन के काफी चर्चे मिलेंगे, इस किताब में मायावती की अपने पिता से तल्खी, दादा से प्यार और स्वयं को साबित करने की उत्कंठा का जिक्र किया गया है।
‘बहन जी’ में मायावती का कथन कोट किया गया है जिसमें वे कहती हैं ‘मेरे पिता जी ने मेरे भाइयों पर तो काफी पैसा लगाकर अच्छा पढ़ाने लिखाने पर खूब ध्यान दिया। इसके विपरीत एक लड़की होने के कारण मुझे एक साधारण सरकारी स्कूल में ही पढ़ने का मौका मिला। फिर भी मैं अपनी मेहनत और लगन के आधार पर आगे बढ़ती रही और पढ़ाई में भाइयों के मुकाबले में अच्छा प्रदर्शन करती रही।
उनकी किस्मत ने 1993 में पलटी मारी और उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए उनकी पार्टी बसपा सपा के साथ आ गई। मायावती की राजनैतिक हैसियत तेजी से ऊपर उठी और मुलायम सिंह यादव भले मुख्यमंत्री बने, मायावती को ‘महा मुख्यमंत्री’ की उपाधि मिली।