इंटरनेट डेस्क। साल 1674 में छत्रपति शिवाजी ने गोवा और कोंकण में समंदर की रक्षा के लिए नेवी की स्थांपना की थी। इस नौसेना का उद्देश्य पुर्तगाली, अरब, ब्रिटिश और समुद्री लुटेरों से इस इलाके की रक्षा करना। शिवाजी के इन युद्धपोतों का निर्माण पनवेल, कल्याण और भिवंडी में किया जाता था।

1657-58 तक छत्रपति शिवाजी के पास जहाजों की संख्या कुल 400 से 500 थी। इन जहाजों में करीब 20 लड़ाकू युद्धपोत थे। शिवाजी ने जंजीरा समुद्री कोस्ट पर सिद्दीस के विरूद्ध कई युद्ध किए थे। शिवाजी के प्रशासन सचिव मल्हाथरा राव चिटनिस के अनुसार, जहाजी बेड़े में दो स्‍क्‍वाड्रन थीं, हर स्‍क्‍वाड्रन में करीब 400 जहाज थे।

जबकि शिवाजी प्रशासन में सभासद रहे कृष्ण जी अनंत ने लिखा था कि उनके नौ सैनिक बेड़े के प्रत्येक स्‍क्‍वाड्रन में हर श्रेणी के 200 जहाज मौजूद थे। डच, पुर्तगाली और अंग्रेजों के अनुसार, शिवाजी के पास 85 फ्रिगेट्स थी। इंग्लिश फैक्ट्री रिकॉर्ड में मिलता है कि छत्रपति शिवाजी के पास युद्ध के दौरान काम आने वाले छोटे जहाजों की संख्या 85 और 3 विशालकाय जहाज थे।

शिवाजी ने नवंबर 1670 में 160 जहाजों की एक फ्लीट तैयार करवाई थी, जिसके एडमिरल दरिया सांरग थे। शिवाजी की नौसेना में मुसलमान सैनिक भी भर्ती होते थे। इनमें इब्राहीम और दौलत खान का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। यही वह प्रमुख कारण है जिसके चलते छात्रपति शिवाजी को फादर ऑफ इंडियन नेवी कहा जाता है।

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