30 जनवरी 1948 की वह शाम भारतीय इतिहास के लिए बहुत तकलीफ-देह रही जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दिन नाथूराम गोडसे ने गोली मार कर महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है।

महात्मा गांधी की हत्या में 8 लोग आरोपी पाए गए जिनमे 5 को सजा दी गई बाकि तीन को छोड़ दिया गया। दिगम्बर बड़गे को इसलिए छोड़ दिया गया क्योकिं वह सरकारी गवाह बन गया। दूसरे आरोपी शंकर किस्तैया को उच्च न्यायालय ने छोड़ दिया तथा तीसरे आरोपी वीर सावरकर को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया था।

इस मामले में कुल 5 को सजा मिली। जिनमे मुख्य आरोपी नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सजा सुनाई गई और तीन आरोपी विष्णु करकरे, गोपाल गोडसे और मदनलाल को आजीवन कारावास भोगना पड़ा था।

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लेकिन इस बात का कारण किसी के समझ नहीं आया था कि आखिर महात्मा गांधी की हत्या क्यों की गई? इसके लिए उस समय अलग अलग कयास लगाए जा रहे थे। गांधी की हत्या के बाद गांधी के पुत्र देवदास गांधी गए जिसे गोडसे मारने के पीछे के कारण बताए।

इनमे एक कारण ये था कि गोडसे को लगता था कि गांधी मुस्लिम प्रेम से प्रेरित है। वे चाहते थे किपकिस्तान को 55 करोड़ रुपये दिए जाएं और वे अपनी इस बात से पीछे नहीं हट थे थे जबकि कांग्रेस यह फंड जारी नहीं करना चाहती थी। तब गांधी ने अपनी बात मनवाने के लिए भूख हड़ताल भी की थी जिस से फंड जारी कर दिया गया।

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फंड के जारी होने पर सबसे बड़ा झटका नाथूराम गोडसे को लगा। वो एक हिंदुत्वादी था जो इस फैसले के खिलाफ था। इसलिए उन्होंने गांधी को मारने की योजना बनाई और 30 जनवरी की शाम उसने महात्मा गांधी की हत्या कर दी।

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