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दोस्तों, आपको जानकारी के लिए बता दें कि बसपा मुखिया मायावती ने मंगलवार को भाजपा और कांग्रेस पर जमकर निशाना ​साधा। उन्होंने कहा कि वह लोकसभा चुनाव-2019 में गठबंधन के लिए किसी भी पार्टी से सीटों की भीख नहीं मांगेंगी। मायावती ने कहा कि वह दलित, अल्पसंख्यक और सवर्ण समाज के गरीबों के सम्मान से समझौता करने वाली नहीं है। मतलब साफ है, बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव-2019 में किसी भी पार्टी से समझौता नहीं करेगी।

मायावती ने कहा कि देश में दलितों की दयनीय स्थिति के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां जिम्मेदार हैं। अगर यह दोनों पार्टियां दलितों तथा सवर्ण समाज के गरीबों की हितैषी होतीं तो पिछले 70 साल में यह स्थिति काफी सुधर गई होती। सत्ता में इन वर्गों की भी समुचित भागीदारी होती।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा हमेशा बसपा को कमजोर और बदनाम करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहती हैं। चुनाव आने पर यह कुत्सित प्रयास और भी ज्यादा सघन और विषैले हो जाते हैं। उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को इससे सावधान रहने को कहा है।

भाजपा को मिल सकता है फायदा

मायावती का यह ऐलान भाजपा के लिए सुखद हो सकता है। अब मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर से खिसकने वाला वोट कांग्रेस के खाते में ना जाकर बसपा जैसे दलों के पाले में भी जाएगा। इससे बीजेपी के खिलाफ किसी एक दल के मजबूत होने की आशंका बिल्कुल कम हो जाएगी।

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के अलावा अब लोकसभा चुनाव-2019 में भी कांग्रेस को बसपा का साथ नहीं मिलेगा। मध्य प्रदेश में सपा का भी कांग्रेस से दूरी बना लेना, साल 2019 में होने वाले आम चुनाव के लिए शुभ संकेत नहीं है। सपा और बसपा का गठजोड़ कांग्रेस को अलग-थलग कर सकता है।

बसपा मुखिया के इस फैसले से सबसे अधिक फायदा भाजपा को होता दिख रहा है। मायावती के इस निर्णय से महागठबंधन का महौल टूट जाएगा जिसका सीधा असर बीजेपी के विरोध में खड़े मतदाताओं पर पड़ेगा। फिलहाल भाजपा के लिए यह अच्छी खबर है कि लोकसभा चुनाव-2019 में सपा, बसपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन का माहौल नहीं दिख रहा है।

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