प्रधानमंत्री द्वारा घोषित राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान लाखों प्रवासी मजदूरों को, जो भारत के कई शहरों और कस्बों में काम किया करते थे, सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलते हुए अपने गाँवों और घरों की ओर लौट रहे इनमें से कई लोगों ने तो रास्ते में ही दम तोड़ दिया। लेकिन अब सरकार ने उनके लिए ट्रैन और बस क व्यवस्ता की जिससे वो अपने घर पहुंच जाये।

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अब औरंगाबाद में ऐसे ही पैदल घर जा रहे 16 मजदूरों के ट्रेन से कट कर मरने की बेहद दुखद ख़बर आयी है। गाँवों से शहरों की ओर पलायन कर चुके करोड़ों लोगों के वापस गाँव लौटने पर यह सवाल उठता है कि ये लोग अपने गाँवों में क्या करेंगे वहां उनके लिए कोई काम नहीं है। वे केवल अपने रिश्तेदारों पर बोझ बन जाएंगे।

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शहरों में वे कुछ पैसे कमा रहे थे, जो वे गाँव में रहने वाले अपने परिवार के पास भेज देते थे। अब उनकी पत्नियाँ भी उनके लौटने पर शायद ही खुश होंगी क्योंकि अब वे अपने परिवारों के लिए नहीं कमा पायेंगे, बल्कि उन्हें ख़ुद ही दो वक्त की रोटी के लिए भी शायद किसी और के सामने हाथ फ़ैलाना पड़े। लगता है इस परिस्थिति में प्रधानमंत्री को अब एक राष्ट्रीय सरकार बनाने पर विचार करना चाहिए।

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