फील्ड मार्शल रैंक पाने वाले भारतीय सेना के उस इकलौते आर्मी चीफ का नाम था सैम यानि जमशेदजी मानेकशॉ। साल 1969 में 8वें सेनाध्यक्ष के रूप में जनरल सैम ने पदभार संभाला। जनरल सैम की अगुवाई में भारतीय सेना ने 1971 में पाकिस्तान को धूल चटाते हुए 93 हजार सैनिकों को आत्मसमपर्ण करने के लिए मजबूर कर दिया। इस युद्ध के बाद ही बांग्लादेश देश का जन्म हुआ। अनेक अवॉर्ड पाने जनरल मानेकशॉ को साल 1972 में भारत सरकार ने पद्म विभूषण से पुरस्कृत किया।

भारतीय सेना के इस आर्मी चीफ की बहादुरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह तत्कालीन प्राइम मिनिस्टर इंदिरा गांधी को गर्ल, डार्लिंग और स्वीटी कहकर बुलाता था। साल 1942 में सेना में नौकरी के दौरान वर्मा में जापान के खिलाफ लड़ते समय सैम के पेट में 7 गोलियां गली थीं, जब मुख्य सर्जन ने पूछा कि तुम्हें क्या हुआ है लड़के? तब उन्होंने हंसते हुए कहा—खच्चर ने लात मार दिया था।

एक बार की बात है, मिजोरम में इंडियन आर्मी की एक बटालियन उग्रवादियों से आरपार की लड़ाई नहीं लड़ना चाह रही थी। जब इस बात की जानकारी जनरल मानेकशा को चली तो उन्होंने बटालियन के कमांडिंग आफिसर को चूड़ियों का पार्सल भेजा तथा साथ में एक पत्र भी। उस पत्र में लिखा था कि यदि आप दुश्मनों से मुकाबला नहीं करना चाहते हैं, तो उन्हें ये चूड़ियां पहना देना। इसके बाद उस बटालियन ने उग्रवादियों का सफाया कर दिया, इसके बाद सैम ने वो चूड़ियां वापस भेजने का आदेश दिया।

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