देश में कई ऐसे राजनेता रहे हैं जिन्होंने प्यार किया है और बिना डरे उसे अंजाम तक पहुंचाया है। ऐसा ही कुछ मुलायम सिंह यादव के साथ भी हुआ था।

जब मुलायम सिंह यादव राजनीति की दुनिया में मजबूत थे, तब साधना गुप्ता उनके जीवन में आईं। उनकी मुलाकात 1982 में हुई जब मुलायम लोकदल के अध्यक्ष बने। तब साधना पार्टी में एक कार्यकर्ता थी।

जब मुलायम की नज़र सुंदर और तीखे नैन-नक्श वाली साधना पर पड़ी तो वे उसे अपना दिल दे बैठे। लेकिन मुलायम और साधना दोनों पहले से ही शादीशुदा थे। साधना की शादी फर्रुखाबाद के एक छोटे व्यवसायी चंद्रप्रकाश गुप्ता से हुई थी। लेकिन साधना उनसे अलग हो गई थी।

80 के दशक में साधना और मुलायम लव स्टोरी के बारे में अमर सिंह के अलावा किसी को नहीं पता था। तब 1988 में साधना ने बेटे प्रतीक को जन्म दिया। उसी समय साधना गुप्ता के साथ मुलायम के रिलेशन की खबर उनकी पहली पत्नी और अखिलेश की मां मालती देवी को लग गई।

मालती देवी का जब इंतकाल हो गया तब साधना ने मुलायम अपनी शादी को आधिकारिक करने और उन्हें अपनी पत्नी का दर्जा देने पर जोर बनाया, लेकिन मुलायम परिवार खासकर अखिलेश यादव के कारण रिश्ते को नाम देने से पीछे हट गए।

90 के दशक के अंत में अखिलेश को साधना गुप्ता और प्रतीक गुप्ता के बारे में पता चला। कहते हैं कि उस समय मुलायम साधना गुप्ता की हर बात मानते थे।

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