पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत सरकार और सेना ने कश्मीर घाटी में आतंक के खात्मे के लिए निर्णायक लड़ाई की तैयारी कर ली है। बता दें कि ऑपरेशन ऑल आउट के तहत सुरक्षाबलों ने दिसंबर 2018 तक 250 से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया है।

कश्मीर के विभिन्न इलाकों में मौजूद लश्कर, हिजबुल मुजाहिद्दीन और जैश-ए-मोहम्मद के टॉप कमांडर मारे जा चुके हैं। हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय आतंकियों के अलावा जैश-ए-मोहम्मद के करीब 60 पाकिस्तानी आतंकी घाटी में मौजूद हैं। इन आतंकियों का खात्मा ही सुरक्षाबलों का आखिरी उद्देश्य रह गया है।

केंद्र सरकार ने कश्मीर में आतंकियों के अंत के लिए तमाम संसाधनों की उपलब्धता के आदेश जारी कर दिए हैं। घाटी में आतंकियों के विरूद्ध एनकाउंटर में सेना के साथ सुरक्षाबलों में मौजूद स्पेशल कमांडोज के दस्तों को भी तैनात किया गया है।

बता दें कि इन स्पेशल कमांडोज को हाइटेक हथियारों, विशेष ट्रेनिंग और सटीक मारक क्षमताओं से युक्त सैन्य सामग्री के साथ घाटी में तैनात किया गया है। इन कमांडोज को कश्मीर में आतंकियों के मंसूबों को खत्म करने के लिए बुलाया गया है।

सेना और सुरक्षाबलों का पहला मकसद है आतंक का गढ़ बने दक्षिण कश्मीर को आतंकमुक्त करना। दक्षिण कश्मीर में पिछले कई वर्षों से जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल और लश्कर के आतंकी दहशत फैलाने का काम कर रहे हैं।

गौरतलब है कि पुलवामा, शोपियां, कुलगाम, कुपवाड़ा, बांदीपोरा और अनंतनाग जिलों में आतंकियों के ठिकानों की तलाश जारी है। सुरक्षाबलों को सरकार ने खुली छूट दे दी है, ताकि आतंकियों के खात्मे के लिए वो सभी प्रकार के निर्णय बिना देरी किए ले सकें।

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