26 जुलाई 1999 को करगिल युद्ध में भारत के करीब 500 जवान शहीद हुए। लेकिन उनकी वीरता की कहानियां आज भी सुनाई जाती हैं। इन्हीं जवानों में से एक रिटायर्ड फौजी दिगेंद्र सिंह भी हैं। उन्होंने करगिल युद्ध के समय जम्मू कश्मीर में तोलोलिंग पहाड़ी की बर्फीली चोटी को मुक्त करवाकर 13 जून 1999 की सुबह चार बजे तिरंगा लहराते हुए भारत को पहली जीत दिलाई, जिसके लिए उन्हें 15 अगस्त 1999 को महावीर चक्र से नवाजा गया। भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त 1999 को महावीर चक्र से नवाजा गया।

फायरिंग में दिगेंद्र के सीने में तीन गोलियां लगीं। कुल 5 गोलियां लगी। दिगेंद्र के सीने में 3, हाथ व पैर में एक-एक गोली लगी थी एक पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था। दिगेन्द्र ने हिम्मत नहीं हारी। दिगेन्द्र ने अकेले ही 11 बंकरों में 18 हथगोले फेंके और उन्होंने सारे पाकिस्तानी बंकरों को नष्ट कर दिया।

इसी दौरान दिगेन्द्र को पाकिस्तानी मेजर अनवर खान नजर आया। झपट्टा मार कर अनवर पर कूद पड़े और उसका सिर काट दिया और 48 दुश्मनों को मारते हुए तिरंगा फहराकर देश की पहली विजय का जयघोष किया।

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