जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के पांच महीने बाद अब तक वहां हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं. सरकार ने सुरक्षा बलों की भारी तैनाती और फोन, इंटरनेट सेवाओं को बंद कर स्थिति नियंत्रण करने की तमाम कोशिशें की. लेकिन किओ हल नहीं निकला , आज हम आपको जम्मू कश्मीर की स्थिति के बारे में बताएंगे कि कैसे जम्मू कश्मीर की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट न एक बड़ा फैसला सुनाया है।


करीब पांच महीने से बंद मोबाइल सेवा सभी सरकारी अस्पतालों में इंटरनेट सेवाएं और मोबाइल फोन पर एसएमएस सेवाएं बहाल की गईं थीं लेकिन आम जनता, छात्रों और व्यापारियों को दुनिया के सबसे लंबे कम्यूनियकेशन शट डाउन के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ा है, और अभी भी मोबाइल पर इंटरनेट सेवाएं शुरू नहीं हुई हैं। कश्मीर में सरकार के रवैये से स्थानीय लोगों में ज़बरदस्त नाराज़गी है और वहां तैनात सुरक्षा बल भी शायद आज के दौर में अपने को सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं।

जम्मू कश्मीर की स्थिति को लेकर एक बहुत बड़ी खबर आ रही है, बता दे आपको कि जम्मू-कश्मीर में लगे प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फ़ैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रतिबंधों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार एक हफ़्ते के अंदर प्रतिबंध के सभी आदेशों की समीक्षा करे।

अदालत में वकील वृंदा ग्रोवर ने आदेश आने के बाद कहा कि जब किसी राज्य में सुरक्षा और आज़ादी का संतुलन बनाने की ज़रूरत होती है तब आप संविधान के कुछ सिद्धांतों के अनुसार स्वतंत्रता पर रोक लगा सकते हैं. कश्मीर में भी जब आप सुरक्षा और आज़ादी का संतुलन बनाएंगे तो इन बातों का ध्यान रखना होगा. मगर राज्य ने इंटरनेट और संचार माध्यमों पर प्रतिबंध लगाने और धारा 144 लगाने से जुड़े आदेश न तो प्रकाशित किए और न ही कोर्ट के सामने रखे ।

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