यह बात सभी जानते हैं कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले मोदी सरकार ने अपने अंतरिम बजट में देश के किसानों को एक बड़ा तोहफा दिया है। बजट सत्र 2019 के मुताबिक, दो हेक्टेयर तक या उससे कम खेत वाले किसानों के खाते में 6 हजार रुपए सालाना दिए जाएंगे।

लेकिन महज तीन दिन पहले पटना के गांधी मैदान में कांग्रेस ने जन आकांक्षा रैली की थी। इस रैली में भारी भीड़ के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सार्वजनिक मंच से ऐलान किया कि अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो देश के हर गरीब को कांग्रेस पार्टी की सरकार न्यूनतम आमदनी की गारंटी देगी। हांलाकि यह घोषणा राहुल गांधी ने पिछले महीने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी की थी।

ऐसा में कहा जा रहा है कि न्यूनतम आय की गारंटी योजना लोकसभा चुनाव 2019 से पहले राहुल गांधी का एक मास्टर स्ट्रोक है। इस ऐलान के बाद बीजेपी मंथन ही करती रह गई। राहुल गांधी का यह बयान उनके आलोचकों के लिए महज शब्दों का जाल लग सकता है, लेकिन इसके संकेत दूरगामी हैं। दरअसल राहुल गांधी न्यूनतम रोजगार गारंटी की बात कर उस जमात को साधने की कोशिश की है, जो दिन भर काम करने के बाद शाम के समय खुद को ठगा महसूस करता है।

किसानों की कर्ज माफी की घोषणा कर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव जीत चुके राहुल गांधी अब इस बात को अच्छी तरह से जान चुके हैं कि भारत जैसे देश में लोग असंगठित रोजगार की मार झेल रहे हैं।

यही वजह है कि 3 फरवरी को पटना के गांधी मैदान के राजनीतिक मंच से राहुल गांधी मोदी सरकार के अंतरिम बजट के साथ-साथ नरेंद्र मोदी पर भी सियासी हमला करने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि जब मोदी सरकार ने किसानों को रोज 17 रुपए देने का ऐलान किया तब एनडीए के नेताओं ने संसद में 5 मिनट ताली बजाईं। अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो देश के हर गरीब के खाते में प्रति माह 10 हजार रुपए दिए जाएंगे। राहुल ने कहा कि हमारी सरकार न्यूनतम आमदनी योजना जरूर लागू करेगी। उन्होंने कहा कि देश का चौकीदार चोर है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने नोटबंदी की घोषणा कर लोगों की जेब से पैसे निकलवा लिए, लेकिन दूसरी तरफ विजय माल्‍या, मेहुल चौकसी जैसे लोग देश का पैसा लेकर फरार हो गए।

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