CAA जारी करने के बाद अमित शाह और मोदी ने NPR जारी किया। CAA, NRC और NPR को आपस में कनेक्टड माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि सरकार इसके माध्यम से मुस्लिमों को यहाँ से निकालना चाहती है।

लेकिन मंगलवार को अमित शाह ने कहा कि एनपीआर और एनआरसी का कोई संबंध नहीं है। अब एक रिपोर्ट ने उनके इस दावे पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं जो उनके बयान पर भी सवाल खड़ी करती है।

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गृहमंत्रालय की साल 2018-2019 की एनुअल रिपोर्ट के अनुसार, “नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR), नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजन (NRC) को कानून के प्रावधानों के तहत लागू करने की दिशा में पहला कदम होगा।”

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अधिवक्ता और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया – “NPR साफ तौर से 2003 के नागरिकता नियमों के तहत NRIC का आधार है। जबकि दिल्ली में रामलीला मैदान में मोदी ने कहा कि NRC और NPR का कोई संबंध नहीं है और NRC को लागू करने जैसी कोई बात अभी नहीं हुई है। पीएम और गृहमंत्री के ये बयान और रिपोर्ट्स आपस में मेल नहीं खाते हैं और साफ हो जाता है कि वे झूठ बोल रहे हैं।

अमित शाह ने भी कहा था कि ये अफवाहें हैं कि एनपीआर के डेटा का इस्तेमाल एनसीआर के लिए होगा। मुस्लिम भाई किसी भ्रम में न आएं।’ ये दोनों चीजें अलग अलग हैं लेकिन रिपोर्ट्स साफ़ करती है कि ये दोनों आपस में जुड़े हुए हैं।

एनपीआर के लिए 3,941.35 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 2021 में जनगणना से पहले एनपीआर को एकबार फिर अपडेट किया जाना है।

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