महर्षि दधीचि से प्रेरित होकर बनी है परमवीर चक्र की डिजाइन
इंटरनेट डेस्क। आज हम आपको सेना के सर्वोच्च मैडल परमवीर चक्र से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र अलंकरण की स्थापना 1950 में की गई। भारतीय सेना के परमवीर चक्र को अमेरिकी सम्मान मेडल ऑफ ऑनर तथा ब्रिटेन के विक्टोरिया क्रॉस के समतुल्य माना गया है। परमवीर च्रक का नाम सुनते ही मन मस्तिष्क में त्याग, शौर्य और बहादुरी की बातें घूमने लगती हैं।
तो देर किस बात की आईए जानें, परमवीर चक्र सम्मान से जुड़ी कुछ खास बातें।
- परमवीर चक्र पदक कांसे का बना होता है। जिस पर कमल के फूल के बीच में अंग्रेजी और हिंदी भाषा में परम वीर चक्र अंकित होता है। परमवीर चक्र पाने वाले को प्रतिमाह दस हजार रूपए नकद पुरस्कार भी दिया जाता है।
- महर्षि दधीचि से प्रेरणा लेकर स्विस युवती इवा लिंडा मेडे-डि-मारोस परमवीर चक्र की डिजाइन तैयार की थी।
-बाद में इवा लिंडा मेडे-डि-मारोस ने विक्रम खनोल्कर से शादी करने के बाद अपना नाम बदलकर सावित्री बाई रख लिया।
- बतौर संकेत परमवीर चक्र में महर्षि दधीचि की हड्डियों से बनाए गए इंद्र के अस्त्र वज्र की चार प्रतिकृतियों का इस्तेमाल किया गया है।
- अब तक भारतीय सेना के कुल 21 रणबांकुरों को यह सम्मान नसीब हुआ है। जिसमें 20 सैनिक मिलिट्री से हैं तथा एक परमवीर चक्र सम्मान वायुसेना के सैनिक को मिल चुका है।
- परमवीर चक्र पाने वाले उन 21 भारतीय सैनिकों के नाम मेजर सोमनाथ शर्मा, लांस नायक करम सिंह, सेकेंड लेफ़्टीनेंट राम राघोबा राणे, नायक यदुनाथ सिंह, मेजर पीरू सिंह, कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया, मेजर धनसिंह थापा, सूबेदार जोगिंदर सिंह, मेजर शैतान सिंह, कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हामिद, लेफ्टीनेंट कर्नल आर्देशिर तारापोर, लांस नायक अलबर्ट एक्का, फ्लाईंग आफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों, लेफ्टीनेंट अरुण क्षेत्रपाल, मेजर होशियार सिंह, नायब सूबेदार बन्ना सिंह, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन,लेफ्टीनेंट मनोज कुमार पांडे, ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव, राइफलमैन संजय कुमार, कैप्टन विक्रम बत्रा है।